तृणमूल कांग्रेस लगातार सुर्खियों में बनी हुई। जानकारी के अनुसार कांग्रेस तथा टीएमसी कि एकता में दिन प्रतिदिन दरार बढ़ती जा रही है। संसद के 29 नवंबर से प्ररंभ होने वाले शीतकालीन सत्र में पेगासस और किसान आंदोलन जैसे मामलों में केंद्र को घेरे मे लेने के लिए साथी दोनों पार्टीयों के रास्ते अभी भी अलग- अलग ही है। इस बात के संकेत अपने दिल्ली दौरे के समय ममता बनर्जी ने सोनिया गांधी से मुलाकात न करके दे चुकी हैं।
जानकारी के अनुसार कल संसद की रणनीति बनाने को लेकर कांग्रेस पार्टी कि ओर से विपक्षी दलों कि बुलवाई गई बैठक का भी हिस्सा टीएमसी नहीं होगी। वहीं दूसरी तरफ रविवार को उन्होने पीएम मोदी की अध्याक्षता वाली सर्वदलीय बैठक में भाग लिया था।
तृणमूल बनेगी पीएमी द्वारा बुलवाई बैठक का हिस्सा
बता दें कि टीएमसी नेता का कहना था कि विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलवाई विपक्षी नेताओं कि बैठक में टीएमसी भाग नहीं लेगी। उन्होने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी तथा राज्यसभा चेयरमैन एम वेंकैया नायडू द्वारा बुलाई बैठक का हिस्सा बनेगी। साथ ही आने वाले सत्र में यह तय है कि पार्टी कई मामलों को सामने लाएगी।
टीएमसी में कांग्रेसी दिग्गज नेता हुए शामिल
जानकारी के अनुसार ममता की पार्टी ने बीते कुछ दिनों कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को अपने दल मे शामिल किया है। बीते हफ्तों में खेमा बदलने वाले नेताओं में गोवा में लुइज़िन्हो फलेरियो, दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुख्रर्जी, सिलचर से कांग्रेस की पूर्व सांसद व दिवंगत कांग्रेस नेता संतोष मोहन देव कि पुत्री सुष्मिता देवी शामिल है। मेघालय के 12 विधायकों ने टीएमसी के साथ शामिल हुए हैं।
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हर बार सोनिया से मिलना क्यों है जरुरी
शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। ममता के दिल्ली दौरे के समय उनसे सोनिया ने मिलने के सवाल पर कहना था कि वह पंजाब चुनाव मे व्यस्त हैं। साथ ही कहा कि हर बार सोनिया से मिलना जरुरी क्यों है? यह कानूनी रुप से आवश्यक नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि तृणमूल ने एक भी संकेत ऐसा नहीं देना चाहती जिससे लगे कि उसे कांग्रेस की लीड मंजूर है।
अंजली सजवाण