जीत की बड़ी कहानी
फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। वैशाली ने कड़े संघर्ष के बाद टाईब्रेकर में जीत हासिल की। उनकी यह जीत न सिर्फ खिताब तक सीमित रही बल्कि इसके साथ ही उन्होंने महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालिफाई कर लिया। यह टूर्नामेंट महिला शतरंज की दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित मंच माना जाता है, जहां अगली महिला विश्व चैंपियन का रास्ता तय होता है।
प्रधानमंत्री की बधाई
वैशाली की इस जीत पर देशभर से शुभकामनाओं का तांता लग गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा कि वैशाली की यह उपलब्धि हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और उनकी मेहनत व समर्पण ने भारत का नाम रोशन किया है। पीएम मोदी की बधाई ने न सिर्फ वैशाली बल्कि पूरे खेल जगत का हौसला बढ़ा दिया हैं।
Outstanding accomplishment. Congrats to Vaishali Rameshbabu. Her passion and dedication are exemplary. Best wishes for her future endeavours. @chessvaishali https://t.co/0AgnNjRV93
— Narendra Modi (@narendramodi) September 16, 2025
लगातार दूसरी बार बनी चैंपियन
वैशाली दूसरी बार फिडे महिला ग्रैंड स्विस का खिताब अपने नाम किया है। ऐसा करने वाली वे बहुत ही चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हो गई हैं। उनकी इस निरंतरता और स्थिरता ने यह साबित कर दिया कि वे आज महिला शतरंज की सबसे मजबूत खिलाड़ियों में से एक हैं।
परिवार ने दिया साथ
वैशाली की सफलता के पीछे उनके परिवार का बड़ा योगदान है। खासकर उनके भाई आर. प्रज्ञानानंद खुद शतरंज की दुनिया के चमकते सितारे हैं। भाई-बहन की यह जोड़ी आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शान बन चुकी है। दोनों की मेहनत, लगन और संघर्ष ने भारतीय शतरंज को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।
जीत के मायने
वैशाली की यह जीत सिर्फ एक खिताब भर नहीं है। यह भारतीय महिला खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली उपलब्धि है। महिला शतरंज के क्षेत्र में लंबे समय तक भारत के पास कोई बड़ा नाम नहीं था, लेकिन अब वैशाली जैसी खिलाड़ी उस खाली जगह को भर रही हैं।
आज वैशाली की जीत से हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा है। अब देश की निगाहें उनके अगले सफर पर टिकी हैं, जहां वे भारत को महिला विश्व चैंपियनशिप का ताज दिला सकती हैं।
