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उत्तराखंड में जोशीमठ-औली रोपवे परियोजना की डीपीआर तैयार, भूधंसाव बना पुनर्विचार का कारण…..क्या कुछ होगा खास

उत्तराखंड में शीतकाल में पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटक स्थल औली अब और अधिक विकसित होने रहा है। शीतकाल में पर्यटकों के पसंदीदा क्षेत्र औली के लिए रोपवे नए सिरे से बनेगा। आपको बता दें कि जोशीमठ-औली की डीपीआर तैयार कर ब्रिज, रोप वे, टनल एंड अदर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (ब्रिडकुल) ने शासन को सौंप दी है। इस रोपवे को दो चरणों में बनाया जाएगा, जिसकी तकरीबन लागत 480 करोड़ रुपये होगी।

उत्तराखंड में जोशीमठ-औली रोपवे परियोजना की डीपीआर तैयार

        उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटको के आवागमन को सुगम बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार निरंतर कार्यरत है। दरअसल, शीतकाल में पर्यटकों का अधिक रूझान उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की ओर होता है और शीतकाल में सर्वाधिक विजिट किया जाने वाला स्थान है औली। लिहाजा औली में पर्यटन को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने यहां पर रोपवे निर्माण करने का फैसला किया जिसके लिए अब नए सिरे से ढांचा तैयार किया जाएगा। आपको बता दें कि जोशीमठ-औली की डीपीआर तैयार कर ब्रिज, रोप वे, टनल एंड अदर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (ब्रिडकुल) ने उत्तराखंड सरकार को सौंप दी है। इस रोपवे को दो चरणों में बनाया जाएगा, जिसकी तकरीबन लागत 480 करोड़ रुपये होगी, वहीं पहले चरण में यह रोपवे जोशीमठ में स्थित वर्तमान रोपवे के टावर नंबर तीन के ही निकट से शुरु होगा और औली तक बनेगा। जिसके बाद दूसरे चरण में इस रोपवे को औली से गौरसों तक बनाया जाएगा।      

भूधंसाव बना पुनर्विचार का कारण

        हालांकि, इस रोपवे निर्माण का कार्य तो पहले से ही प्रगति पर था लेकिन, बीते जनवरी 2023 को हुए भूधंसाव से जोशीमठ के कई स्थानों को प्रभावित किया। लिहाजा इसी के चलते जोशीमठ से पहले चरण में जो रोपवे टावर बनाए गए थे उनके पहले और दूसरे टावर पर भूधंसाव से दरारें आ गईं थी। यही कारण भी रहा कि प्रशासन द्वारा इसका संचालन बंद कर दिया गया था, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने ब्रिडकुल को नए सिरे से रोपवे के संतुलित और सुदृढ़ निर्माण के लिए नई संभावनाएं तलाशने के लिए निर्देशित किया। वहीं अब वर्ष 2025 मे ब्रिडकुल द्वारा नए सिरे से रोपवे निर्माण की संभावनाओं का सर्वे कर उसकी एक DPR तैयार करी और उत्तराखंड सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब जोशीमठ-औली रोपवे को दो चरणों में बनाया जाना प्रस्तावित है, पहले चरण यानी जोशीमठ से औली के बीच 2.76 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा जिसके लिए 11 टावर लगाए जाने प्रस्तावित हैं। वहीं दूसरे चरण में औली से गोरसों के बीच 1.85 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा, इसमें सात टावर लगाए जाएंगे। आपको बताते चलें कि इनमें आधुनिक मोनो केबल लगाया जाएगा और साथ ही इसमें एक बड़ी ट्राली कार की जगह पर गोंडोला लगाया जाना प्रस्तावित है।    

क्या कुछ होगा खास

    यूं तो जोशीमठ में संचालित पहला रोपवे सन् 1984-85 में बनाया गया था, लिहाजा तभी से यह रोपवे यात्रियों व पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लेकिन अब यह रोपवे पूर्णत: बंद किया जा चुका है और इसके स्थान पर प्रस्तावित नए रोपवे का निर्माण किया जाना है। आपको बता दें कि इस रोपवे को दो चरणों में बनाया जाना है, जिसमे किसी ट्रॉली कार का उपयोग नहीं बल्कि गोंडोला का प्रयोग किया जाएगा। दरअसल, गोंडोला में 6 से 7 लोगों की एक साथ बैठने की क्षमता होती है। वहीं इस जोशीमठ-औली रोपवे के लिए कुल 21 गोंडोला प्रस्तावित हैं, वहीं दूसरे चरण में दूसरे चरण में औली से गोरसों के बीच 1.85 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा, इसमें सात टावर लगाए जाएंगे। औली से गोरसों तक कुल 9 गोंडोला चलाए जाने प्रस्तावित हैं, आपको बताते चलें कि इन दो चरणों में प्रस्तावित यह जोशीमठ-औली रोपवे योजना में मात्र एक ही घंटे में 500 यात्रियों को सफर कराया जा सकेगा। वहीं इस परियोजना के लिए सर्वे करने के बाद ब्रिडकुल के प्रबंध निदेशक एनपी सिंह बताते हैं कि डीपीआर तैयार कर शासन को सौंप दी गई है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इसके टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।                
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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