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उत्तराखंड में हीटवेव ने बिछाया जाल, चिकित्सकों ने दी हीटवेव की जानकारी…..अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या
उत्तराखंड में भीषण और चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप जारी है, भीषण गर्मी के चलते अस्पतालों में मरीजों तादात बढ़ने लगी है। रुड़की के सिविल अस्पताल में सात और निजी अस्पतालों में 18 मरीज भर्ती हुए हैं। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है और चिकित्सकों ने हीटवेव से बचने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
उत्तराखंड में हीटवेव ने बिछाया जाल
उत्तराखंड में भीषण और चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप जारी है, भीषण गर्मी के चलते अस्पतालों में मरीजों तादात बढ़ने लगी है। दरअसल, उत्तराखंड के मौसम में शुष्कता के चलते हीटवेव चलने लगी हैं, आलम यह है कि लोग भरी दोपहरी में चक्कर खा कर गिर रहे हैं। इसी क्रम में भीषण गर्मी की चपेट में आकर सात लोगों को रुड़की के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। मात्र यही नहीं बल्कि अन्य निजी अस्पतालों में भी हीटवेव के कारण 18 लोगों को भर्ती कराया गया है। वहीं माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में हीटवेव का साम्राज्य और भी विस्तृत होनें वाला है, आपको बता दें कि रुड़की व अन्य आसपास के इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के भी पार पहुंच चुका है। सूरत ए हाल यह है कि इस चिलचिलाती गर्मी में पैदल और दोपहिया वाहनों पर सफर करने वाले लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सुबह के 11 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक लू के थपेड़े हर किसी का दम निकाल रहे हैं, ऊपर से मौसम में शुष्कता रहने के कारण रात में भी हवा कम चल रही है और आमजन को गर्मी का सामना करना पड़ रहा है।चिकित्सकों ने दी हीटवेव की जानकारी
रुड़की सिविल अस्पताल में विभिन्न चिकित्सकों के OPD में हीटवेव से ग्रसित कुल 7 मरीज आए, जिन्हें चिकित्सकों ने देखभाल के रुप में वार्ड में भर्ती किया, हालांकि अब सभी अस्वस्थों की हालत पहले से ठीक है। उक्त विषय पर रुड़की CMS डा. संजय कंसल ने बताया कि बीते दो दिनों से अस्पताल में हीटवेव से ग्रसित मामले आ रहे हैं, हालांकि उपचार के बाद वे स्वस्थ हो रहे हैं लेकिन हीटवेव में सावधानी बरतना बेहद जरुरी है। वहीं रुड़की सिविल अस्पताल के चिकित्साधिकारी डा. शैलेष कुमार तिवारी ने बताया कि हीटवेव या हीट स्ट्रोक गर्मी से जुड़ी गंभीर समस्या है। हीटवेव या हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर अपने तामपान को नियंत्रित करने में असमर्थ हो जाता है। शरीर से पसीना निकलने की प्रक्रिया विफल हो जाती है और शरीर खुद को ठंडा रखने में असमर्थ हो जाता है। ऐसी स्थिति में इंसान की लापरवाही के कारण बात कई बार उसकी जान पर भी बन आती है। इसके लिए कुछ सावधानी बरतना जरूरी है।लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)