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हरिद्वार में दीवाली आतिशबाजी से प्रदूषण स्तर ढाई गुना बढ़ा, जागरूकता से पिछले सालों की तुलना में कमी

दीपावली पर हरिद्वार में वायु प्रदूषण स्तर एक सप्ताह में ढाई गुना बढ़ा, हालांकि पिछले वर्षों की तुलना में सुधार देखने को मिला। ग्रीन पटाखों और जागरूकता अभियान ने प्रदूषण को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई।

हरिद्वार में दीवाली आतिशबाजी से प्रदूषण स्तर ढाई गुना बढ़ा

हरिद्वार में इस बार दीवाली की आतिशबाजी ने वायु प्रदूषण पर असर डाला है। ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में लगाए गए प्रदूषण मापक यंत्र के अनुसार, दीपावली से एक सप्ताह पहले शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) जहां 80 था, वहीं त्योहार के दिन यह बढ़कर 190 तक पहुंच गया, जो ढाई गुना की वृद्धि है। हालांकि यह स्तर 2021 के 321 एक्यूआई से काफी कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों में बढ़ती पर्यावरण जागरूकता, ग्रीन पटाखों के उपयोग और त्योहार के दो दिन मनाए जाने के कारण प्रदूषण में पिछले वर्षों की तुलना में कमी दर्ज की गई है।    

दीपावली पर पटाखों से हरिद्वार की हवा हुई ज़हरीली

दीपावली पर की गई आतिशबाजी ने हरिद्वार के पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसों ने वायु को प्रदूषित कर दिया, जिससे क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों में एक बड़ा उछाल दर्ज हुआ। दीपावली से एक सप्ताह पहले शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 80 था, जो त्योहार के दिन बढ़कर 190 तक पहुंच गया। चिकित्सकों के अनुसार यह स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और फेफड़े या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को इस प्रदूषित हवा में सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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