उत्तराखंड पंचायत चुनाव में भाजपा का परचम, जीत तो मिली, लेकिन हार गए परिवार…..तो शायद कुछ और होती तस्वीर

उत्तराखंड पंचायत चुनाव में भाजपा का परचम

 

उत्तराखंड में मानसून सत्र में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शुरु से ही चर्चाओं का केंद्र बने रहे, प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर काफी हो-हल्ला भी रहा। उत्तराखंड में दोनों राष्ट्रिय पार्टी कांग्रेस और भाजपा ने इन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपनी दावेदारी ठोंकने के लिए प्रचार-प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजतन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को जीत तो मिली, लेकिन परिवार जरुर हार गए। इस बात का तात्पर्य इससे मालूम पड़ता है कि सत्ताधारी पार्टी ने जिस भी क्षेत्र में दिग्गजों के परिजनों को मैदान में, उन उन स्थानों में वहीं की जनता ने उन्हे सिरे से नकार दिया।

 

जीत तो मिली, लेकिन हार गए परिवार

 

हाल ही में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऐसे कई उदाहरण हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को जीत तो मिली, लेकिन परिवार जरुर हार गए। उदाहरणार्थ, नैनीताल जिले में भाजपा विधायक सरिता आर्या के बेटे रोहित आर्या, उत्तरकाशी जिले कि स्याल्दे बबलिया क्षेत्र पंचायत सीट से सल्ट विधायक महेश जीना के बेटे करन को, बदरीनाथ के पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी रजनी भंडारी, लोहाघाट के पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की बेटी, लैंसडोन विधायक दिलीप रावत की पत्नी, नैनीताल जिला में भाजपा की निर्वतमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया, भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा की बहू, चमोली भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल भर्तवाल जैसे तमाम दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। इनकी हार का मुख्य कारण जनता का इन दिग्गजों के परिजनों को सिरे से नकारना रहा।

 

तो शायद कुछ और होती तस्वीर

 

इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जितने रोमांचक रहे उतना ही रोचक इनका नतीजा भी रहा। शुरुआत से ही उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा अपने विपक्षी दल कांग्रेस में परिवारवाद को लेकर सियासी प्रहार करती रही, लेकिन जब पंचायत चुनाव के नतीजों ने सभी को चकित कर दिया। मतदाताओं ने डबल इंजन वाली सरकार को नकार कर, कांग्रेस के परिवारवाद को स्वीकार किया। वहीं इस विषय पर कुछ दिग्गजों का तो मानना यह है कि यदि भाजपा ने इन पंचायत चुनावों में समर्थन देने के लिए परिवारवाद के बजाय मजबूत दावेदारों का विकल्प चुना होता तो शायद आज तस्वीर कुछ और ही होती। वहीं पंचायत चुनाव में भाजपा ने अपना परचम लहराया है, इस जीत पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि “पंचायत चुनाव की यह जीत न केवल उत्साहवर्धक है बल्कि ऐतिहासिक भी है। भाजपा को 2019 में 200 सीटें मिली थीं। उसमें हरिद्वार भी शामिल था। अब भाजपा को हरिद्वार छोड़कर 216 सीटें मिली हैं। उस लिहाज से हरिद्वार की 44 सीटों को जोड़कर यह आंकड़ा 260 है। यह अब तक सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार की पंचायतों में ऐतिहासिक जीत है। सभी जिलों में भाजपा का बोर्ड बनने जा रहा है।”

 

 

 

 

लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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