उत्तराखंड में बढ़ेगा वन क्षेत्र का दायरा
उत्तराखंड एक पर्वतीय और वन सरंक्षित राज्य है, भारत को स्वच्छ प्राणवायु देने वाले अग्रणी राज्यों में उत्तराखंड की अपनी अनोखी पहचान है। अपने 71 प्रतिशत से भी अधिक भू-भाग में वनों कों संजोए रखने वाले उत्तराखंड राज्य में वनावरण को बढ़ाने के प्रयासों में से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल नई उर्जा का संचार कर रही है। वैश्विक स्तर पर वन क्षेत्र में वृद्धि करने के मामले में भारत ने 10वें पायदान से 9वें पायदान पर छलांग लगाई है, गौरतलब है कि इस बड़ी छलांग का असर उत्तराखंड में भी पौधारोपण के माध्यम से प्रदर्शित हो पाएगा, तो वहीं नये पौधों के संरक्षण को लेकर कई अभियान भी गतिमान हो सकेगें।
सीएम धामी के पौधारोपण अभियान ने दी नई रफ्तार
वन क्षेत्र को व्यापक स्तर पर विकसित और संरक्षित करने के लिए गतिमान पौधारोपण अभियान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सक्रिय भागीदारी इस अभियान की रीढ़ मजबूत करती नजर आती है। आपको बताते चलें कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ओर से जारी वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन-2025 रिपोर्ट में भारत की वन प्रबंधन व्यवस्था को अद्वितीय माना गया है, स्पष्ट है कि देश के वन क्षेत्र में हुई वृद्धि में उत्तराखंड राज्य का अतुलनिय योगदान सम्मिलित है। प्रत्यक्ष समय में उत्तराखंड राज्य संपूर्ण भारत को 3 लाख करोड़ से भी अधिक पर्यावरणीय सेवाओं से लाभान्वित करा रहा है, जिसमें मात्र 98 हजार करोड़ का योगदान ही वन क्षेत्र प्रदत्त है। यद्यपि, उत्तराखंड में विकास कार्यों को मूर्त रुप देने के लिए वनों का अधिक मात्रा में कटान हुआ है और कुल वनावरण क्षेत्र में कमी आई है। अलबत्ता, वन कटान की क्षतिपूर्ति के लिए पुन: पौधारोपमण भी किया गया।
उत्तराखंड में रोपे गए 57 लाख पौधे
उत्तराखंड में हर साल एक से डेढ़ करोड़ पौधें रोपे जाते हैं, हालांकि, इनमें से कुछ ही पौधे जीवित बच पाते हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी की ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के व्यापक क्रियान्वय में उत्तराखंड की बड़ी भागीदारी है। इस साल वन विभाग ने 57 लाख पौधें रोपे और उन्हें बचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास भी निरंतर जारी हैं। आशा है कि आगामी समय में इसका प्रभाव वन क्षेत्र में वृद्धि के रूप में दिखाई देगा।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)
