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उत्तराखंड सरकार का नया वित्तिय वर्ष आज से शुरु, विभागों को बजट आय और व्यय के लिए दिशा-निर्देश जारी…..उपलब्ध बजट के अनुसार दी जाएगी स्वीकृति
मंगलवार 1 अप्रैल 2025 ले उत्तराखंड सरकार का नया वित्तिय वर्ष शुरु हो चुका है, लिहाजा उत्तराखंड वित्त विभाग ने राज्य के सभी प्रशासकीय विभागों के लिए बजट, आय और व्यय के लिए दिशा निर्देशों को जारी कर दिया है। इसके तहत पूंजीगत परिव्यय में से स्वीकृत धनराशि का 80 प्रतिशत चालू योजनाओं पर होगा, अर्थात मात्र 20 प्रतिशत धनराशि ही नई योजनाओं पर खर्च हो पाएगी। आपको बता दें कि इस वित्तीय वर्ष से कैंपा की धनराशि का उपयोग केंद्र पोषित योजना की तर्ज पर होगा।
उत्तराखंड में विभागों को बजट आय और व्यय के लिए दिशा-निर्देश जारी
उत्तराखंड में आज मंगलवार 1 अप्रैल 2025 से नए वित्तिय वर्ष की शुरू हो गया है, लिहाजा उत्तराखंड वित्त विभाग ने राज्य के सभी प्रशासकीय विभागों के लिए बजट, आय और व्यय के लिए दिशा निर्देशों को जारी कर दिया है। दरअसल, मुख्य वित्त सचिव दिलीप जावलकर की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने यह निर्णय लिया था कि पूंजीगत परिव्यय में से स्वीकृत धनराशि का 80 प्रतिशत चालू योजनाओं पर होगा, अर्थात मात्र 20 प्रतिशत धनराशि ही नई योजनाओं पर खर्च हो पाएगी। आपको बतातें चलें कि हर साल की भांति इस साल भी उत्तराखंड वित्त विभाग ने सभी विभागों को कहा है कि कम से कम धन का उपयोग करके किफायत को बरता जाए, जबकि इसके अतिरिक्त वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तराखंड में एक करोड़ से ऊपर के कार्यों को वित्त विभाग तभी स्वीकृति देगा जब उस पर गति शक्ति पोर्टल से जनरेटेड यूनिक आईडी का जिक्र होगा। विभागों को 30 अप्रैल तक योजनावार कार्यों की रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजनी होगी।उपलब्ध बजट के अनुसार दी जाएगी स्वीकृति
उत्तराखंड सरकार ने नए वित्तिय वर्ष में प्रवेश लेते हुए सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया है कि राज्य में किसी पूंजीगत कार्य के लिए नई वित्तीय स्वीकृति को अंतिम तिमाही में न दिया जाए और यदि कोई भी विभाग स्वीकृति देता है तो उसके लिए संबंधित विभागाध्यक्ष के साथ-साथ प्रशासनिक विभाग और साथ ही संबंधित वित्त व्यय नियंत्रण विभाग को जवाबदेह माना जाएगा। इसके साथ ही वित्त विभाग ने कहा है कि सबसे पहले तो वह धनराशि को वापस प्रतिपूर्त किया जाए जो आकस्मिता के समय निकाली गई हो, जबकि वहीं वित्त विभाग ने यह भी कहा है कि मात्र टोकन धनराशि के आधार पर योजनाओं को स्वीकृति दे देना यह परंपरा उचित नहीं हैं क्योंकि धनराशि के कम होने की वजह से योजना पर कार्य चलता ही रहता है जिससे समय और लागत दोनों में वृद्धि होती है। लिहाजा उत्तराखंड में ऐसे कार्यों की समीक्षा करी जाए जिन पर काम अभी शुरु नहीं हुआ है ताकि उन्हें निरस्त करा जा सके और एक बार फिर दोबारा आगणन के आधार पर बजट की उपलब्धता को ध्यान में रखते स्वीकृति दी जाए। वहीं वित्त विभाग ने कहा है कि विभागों की ऐसी पूंजीगत योजना जिस पर राज्य सेक्टर से दो करोड़ से अधिक खर्च संभावित है,उसे SAACI के तहत अनिवार्य रूप से प्रस्तावित करने को कहा गया है।लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)