उत्तराखंड राज्य को अपनी अलग पहचान बनाए 23 साल हो चुके हैं, 23 साल बाद भी राज्य के कई जिले उच्च शिक्षा केन्द्रों से वंचित हैं । एसे में 2011 के तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ने भीमताल को एक कुमांऊ विश्वविधालय देनें की बात कही थी, जो पुरी ना हो सकी । आज जब भीमताल की आबादी 18 हजार के पार हो चुकी है, तभी भी भीमताल को विश्वविधालय नंही मिला है। अब इस मामले को मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल में दर्ज किया गया है।
12 साल बाद भी मामला जस का तस
भीमताल के अपने ही ब्लॉक में उच्च शिक्षा संस्थान ना होनें की वजह से यहां के छात्र-छात्राओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । एक ओर जहां भीमताल में डिग्री कॉलेज ना होनें के कारण कई छात्रों को पढ़ाई करनें के लिए 20 से 25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, तो वंही अधिकांश मध्यम वर्गीय और गरीब तपके के छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है । 2011 के तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ने भीमताल को एक विश्वविधालय देनें की बात कही थी, जो पुरी ना हो सकी । साल दर साल समय बीतता गया लेकिन विश्वविधालय को बनाने का मामला जस का तस ही रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाया मामला
12 सालों से अधिक समय बीतने के बाद भी जब भीमताल को कैंपस नंही मिला है । सामाजिक कार्यकर्ता बेरोजगार संघ के अध्यक्ष पूरन बृजवासी भीमताल के लिए इस मुद्दे पर पीछले 7-8 सालों से अपनी आवाज उठा रहे हैं। प्रशासन द्वारा अब तक इस मामले पर कोई भी कदम ना उठाने से नाराज होकर पूरन बृजवासी ने दोबारा इस मामले को उठाया है । इस बार उन्होने मामले को मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल पर दर्ज कराया है । यही नंही 15 जनवरी 2020 को शिलान्यास हो चुके बीएड कॉलेज का निर्माण कर कक्षाएं संचालित करने और लॉ कॉलेज’ की स्थापना भीमताल में करने की भी मांग उठाई है।