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सिद्वि बडोनी ने उत्तारखंड के खेमें में डाला एक और खिताब….कलारीपयट्टू में जीता रजत पदक

उत्तराखंड के लाल 38वें राष्ट्रीय खेलों में अपना परचम लहराने के लिए लालायित हैं, देवभूमि के युवा अब कलारीयपट्टू में भी देवभूमि के लिए पदक लाने को तैयार हैं, 38वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की सिद्धी बड़ोनी ने कलारीयपट्टू में रजत पदक जीतकर राज्य को एकबार फिर गौरवान्वित किया है।

38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने के साथ-साथ उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों में पदक हासिल करने का सिलसिला भी शुरु हो चुका है। उत्तराखंड का सबसे प्रथम मैडल वुशु में ज्योति वर्मा ने हासिल किया जिसने उत्तराखंड के प्रतिभागी खिलाड़ियों का मनोबल भी बढ़ाया। इसके बाद उत्तराखंड को दूसरा मैडल कलारीपयट्टू खेल में सिद्धी बड़ोनी ने हासिल किया। राष्ट्रीय खेलों में रिजर्व पुलिस लाइन रोशनाबाद में कलारीपयट्टू खेल का आयोजन हुआ, जिसमें कलारीपयट्टू चुवाडुकल महिला वर्ग में प्रदेश की होनहार बेटी सिद्धी बड़ोनी ने रजत पदक जीतकर अपने परिजनों और राज्य का नाम ऊंचा किया है। सिद्धी बड़ोनी उत्तराखंड सचिवालय में संयुक्त सचिव संतोष बड़ोनी की बेटी हैं।

कलारीपयट्टू है केरल का पारंपरिक खेल

  कलारीपयट्टू दक्षिण भारत के केरल का पारंपरिक खेल है जो कि युद्ध कौशल को प्रदर्शित करता है, यह खेल युद्ध कला प्रदर्शन की श्रेणी में आता है। मान्यता है कि कलारीपयट्टू खेल की उत्पत्ति भगवान परशुराम जी से हुई है और यह तीन हजार साल से भी पुराना खेल है। केरल इस खेल का मुख्य गढ़ है चूंकि यह खेल जोखिम से भरा है लिहाजा इस पर कुछ विवाद भी वर्तमान समय पर चल रहे हैं।

पिता ने बताया हर स्कूल तक पहुंचाना है लक्ष्य

  उत्तराखंड कलारीपयट्टू एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष बड़ोनी ने बेटी पर गर्व करते हुए बताया कि यह खेल आत्मरक्षा के भी गुर सिखाता है, यह आत्मरक्षा का भी खेल है। राज्य व देश की बेटियों के लिए यह खेल बहुत ही लाभकारी है। चूंकि इस खेल में अधिक बड़े मैदान की आवश्यक्ता नहीं होती लिहाजा इसे छोटे से जगह पर खेला जाता है। हमारा लक्ष्य है कि इस खेल को प्रदेश के हर स्कूल तक पंहुचाया जाए ताकि राज्य की सभी बालिकाएं अपनी आत्मरक्षा करने में सक्षम हो सकें।

HNN 24x7 Desk

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