उत्तराखंड राज्य ने अपनी 25वीं रजत जयंती में प्रवेश लिया है, यानी की राज्य को गठित हुए 25 साल बीत चुके हैं लेकिन आज की खबर में आप जानेंगे की आखिर क्यों उत्तराखंड के इतिहास में यह राज्य के युवाओं के साथ सबसे बड़ा भद्दा मजाक है। दरअसल विगत 10 वर्षों से राज्य के अधिकांश युवा इस आस से लाइब्रेरियन का कोर्स कर रहे हैं कि उन्हें UKSSSC द्वारा जारी भर्तियों में नौकरी पाने का मौका मिलेगा परंतु यह किसी मजाक से कम नहीं है कि राज्य सरकार ने पूरे 10 साल यानी 2014 के बाद 40 रिक्त स्थानों पर UKSSSC की भर्तियां निकाली लेकिन मांगे सिर्फ 3 ही पद गए हैं। आपको बता दें कि राज्य के नए खुले सरकारी डिग्री कॉलेजों में लाइब्रेरियन और सहायक लाइब्रेरियन के चालीस पद खाली भी हैं और उन पर कर्मचारियों की सख्त जरूरत भी है, लेकिन उत्तहाखंड अधीनस्थ चयन आयोग UKSSSC द्वारा 2024 में प्रकाशित भर्ती में मात्र 3 ही उच्च शिक्षा सहायक लाइब्रेरियन के पद मांगे गए हैं और वह भी मात्र ईवीएस के लिए। अब सवाल यह उठता है कि क्या राज्य सरकार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करके राज्य की क्रियान्वित शाखाओं को भाड़ की भट्टी में झोंकना चाहती है या राज्य के वे सभी छात्र और युवाओं के माथे पर मूर्ख लिखा है जो बीते 10 वर्षों से राज्य सरकार से रोजगार की आस लगाऐ बैठे हैं ? क्या राज्य सरकार द्वारा हर युवा को रोजगार देने के वादे खाली जुमलेबाजी थी , चूंकि धरातल पर राज्य सरकार द्वारा रोजगार जैसी महत्वपूर्ण कड़ी पर कार्य होता नजर नहीं आ रहा है।
उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशक के “हवाई” वादे
अगर उच्च शिक्षा अधिकारी के बयानात की बात करी जाए तो वर्ष फरवरी 2020 में तत्कालीन उच्च शिक्षा निदेशक ने सहायक लाइब्रेरियन के 40 से अधिक पदों पर भर्ती का अधियाचन तैयार किए जाने की पुष्टि की थी और साथ में यह भी बताया था कि रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया से नियुक्ति उत्तराखंड अधिनस्थ चयन आयोग करेगा। अब वर्ष 2024-25 में जब उत्तराखंड निदेशालय ने जब राज्य में नए खुले सरकारी डिग्री कॉलेजों के लिए भी लाइब्रेरियन और सहायक लाइब्रेरियन के पद मांगे तो उत्तराखंड अधिनस्थ चयन आयोग ने दिसंबर 2024 में भर्ती विज्ञापन प्रकाशित करके उच्च शिक्षा सहायक लाइब्रेरियन के ईवीएस के लिए मात्र 3 ही पद मांगे हैं। आपको साथ में यह भी बताते चलें की वर्ष 2014 के बाद से आज तक इन पदों पर कोई भी भर्ती विज्ञापन नहीं आया लिहाजा अब पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में उत्सुक छात्र प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालय/संस्थानों से बीलिब और एमलिब करने के बाद मायूस बैठे हैं। पूरे 10 वर्षों बाद मात्र तीन पदों पर भर्ती विज्ञापन को देखकर युवाओं में आक्रोश भी है और निराशा भी।