!!योग मानव कल्याण का समग्र दृष्टिकोण!!
योग प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार…
(कमल किशोर डुकलान ‘सरल’)
भारत का विचार सदैव से परस्पर सामंजस्य,सद्भाव एवं मैत्रीपूर्ण रहा है। योग भी मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य के साथ स्वास्थ्य और मानव कल्याण का एक समग्र दृष्टिकोण है। नि:सन्देह भारत “वसुधैव कुटुम्बकम” के भाव के साथ भारत सम्पूर्ण विश्व के जन को निरोगी और स्वस्थ देखना चाहता है।
योग हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। योग शारीरिक एवं मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है। पांच हजार वर्ष पूर्व से योग हमारी प्राचीन भारतीय परम्परा और संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के साथ योग शारीरिक एवं मानव कल्याण को बढ़ावा देता है। योग शब्द की उत्पत्ति देववाणी संस्कृत के’युज’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ है ‘जुड़ना या जोड़ना’ अथवा ‘एकजुट होना’। कहने का अर्थ यह है कि जो मन और शरीरिक क्रियाओं को एकजुट करें,वही योग है। नवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘एक विश्व एक स्वास्थ्य’ जो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से कहीं न कहीं मेल खाता है।
योग शरीर और मन का मिलन न सिर्फ आसनों व प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है,वरन् वह शारीरिक, मानसिक और भौतिक स्थिति को उसके उच्चतम स्तर पर ले जाने में सक्षम है। योग भारतीय संस्कृति का एक ऐसा अभिन्न अंग है जो मनुष्य के जीवन में एक स्वास्थ्य बीमा की तरह है,जो व्यक्ति और समाज को खुशहाली और समृद्धि की राह दिखाता है। योग विभिन्न आसन, प्राणायाम,ध्यान और धारणा के माध्यम से शरीर और मन को नियंत्रित,स्थिर करने के साथ शांति प्रदान करता है। विद्यालयी छात्रों के जीवन में योग का विशेष महत्व है। योग के अभ्यास से छात्रों का शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक अवस्था सुदृढ होती है। योगाभ्यास से जहां छात्रों के शरीर में लचीलापन आता है। वहीं व्यायाम और योग के माध्यम से छात्रों के शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है।
छात्र राष्ट्र की अमूल्य निधि है,जिस कारण से भारत के भविष्य छात्र-छात्राओं के शारीरिक और मानसिक रूप से सबल होना आवश्यक है।
योग छात्रों की पढ़ाई के प्रति सक्रियता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार लाता है।
मशीनीकरण के बढ़ते युग में छात्रों को योग और व्यायाम की दिशा में प्रेरित करना बेहद जरूरी है। योग के द्वारा मानसिक स्थिरता की प्राप्ति भी होती है। योग में ध्यान और मन को नियंत्रित करने के तकनीकों का अभ्यास करने से छात्र स्वयं को संयमित कर सकते हैं और मन की गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं। उनकी मनोदशा, सोचने की क्षमता और सामरिक क्षमता में योग के अभूतपूर्व लाभ हैं।
योग हमारी आध्यात्मिक विचारधारा का प्रमुख अंग है। यह शरीर,मन और आत्मा के संतुलन को विकसित करने का एक प्राकृतिक तरीका भी है। योग का शिक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि इसका अभ्यास छात्रों के जीवन को स्वस्थ,स्थिर और समृद्ध बनाने में मदद करता है। छात्र अपने दिमाग,शरीर और मन को योग द्वारा विकसित कर सकते हैं और सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। निकट वर्षो में योग की स्वीकार्यता बढ़ी है तथा योग शिक्षा एवं योग विशेषज्ञों की मांग शैक्षिक संस्थानों से लेकर कॉरपोरेट जगत में स्वीकार्यता तीव्र गति से बढ़ रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योग शिक्षा को सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रम में सम्मिलित करने का उद्देश्य बहुत व्यापक है, जिसके माध्यम से छात्रों को स्वस्थ, जीवंत और संतुलित जीवन जीने के लिए आवश्यक योग्यता प्राप्त की जा सके। योग छात्रों के शारीरिक,मानसिक संघटकों को संवारने,स्वास्थ्य सुधारने,तंदुरुस्ती बढ़ाने,तनाव को कम करने,ध्यान को विकसित करने,स्वाभाविक रूप से विश्राम करने,एकाग्रता को बढ़ाने और नैतिक मूल्यों को समझाने का माध्यम बनाता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में योग शिक्षा का अधिकारिक रूप से समर्थन किया गया है और शिक्षकों को छात्रों की योग शिक्षा क्षमता को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्रों को योग की अच्छी शिक्षा दी जाएगी और वे योग के लाभों का सही रूप से उपयोग कर सकेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूल्य आधारित शिक्षा पर भी बल देती है। योग का अभ्यास छात्रों के सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास करने में भी मदद करता है तथा छात्रों में आत्मविश्वास,सद्भाव और सामरिकता की भावना को विकसित करती है।
योग सकारात्मक भावनाओं के साथ वे संयमित और सहनशील बने रहे उनके बीच सहयोग,समरसता और विवेक की भावना विकसित होती रहें। छात्रों को योग शिक्षा न केवल स्वस्थ्य नागरिक का निर्माण करने में सहायक है बल्कि योग के द्वारा उनकी जीवन शैली योगमय होकर उनके जीवन को ख़ुशहाली की दिशा में ले जाती है।
प्रतिदिन योग का अभ्यास छात्रों को स्वतंत्रता विचार शीलता और समस्याओं का समाधान करने की क्षमता प्रदान कर उन्हें सफल और सुखी जीवन की ओर अग्रसर करता है। क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक सुख, स्थिरता और स्वस्थ्य की ओर ले जाता है। योग शिक्षा को स्वस्थ्य नागरिक का निर्माण करने के लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। योग की शिक्षा को सभी तक पहुंचाना अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का ध्येय है।
नवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग शिक्षा को जन.जन पहुँचाने का संकल्प लें ताकि एक स्वस्थ एवं खुशहाल भारत का निर्माण किया जा सकें साथ ही ‘हर आंगन योग’ की परिकल्पना को पूर्ण किया जा सकें। योग शिक्षा द्वारा हम न सिर्फ भारत को अपितु,पूरे विश्व में योग एकता द्वारा एक अनूठी मिसाल स्थापित कर सके। अन्तर्राष्ट्रीय नवें योग दिवस पर आप सभी को म़ंगलमैत्री… हार्दिक मंगलमयी अनन्त शुभकामनाएं!!
वासुदेव लाल मैथिल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर,कालेज,रूड़की (हरिद्वार)