उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा भले ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेने का दावा कर रही हो, लेकिन वह प्लान-बी पर भी मंथन में जुटी है। इस कड़ी में भाजपा की नजर चुनाव में जीत दर्ज करने वाले बागियों और निर्दलीयों पर भी रहेगी। आवश्यकता पड़ने पर पार्टी उनके लिए रेड कार्पेट बिछा सकती है।
टिकट वितरण के बाद भाजपा को विधानसभा की कई सीटों पर असंतोष का सामना करना पड़ा था। विभिन्न सीटों पर 13 बागी मैदान में डटे रहे। यद्यपि, इन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है, लेकिन मन में कहीं न कहीं उनके लिए जगह अभी भी छोड़ी गई है। यद्यपि, बागियों में कितना दम है और किसकी किस्मत खुलती है, इसे लेकर 10 मार्च को तस्वीर साफ हो जाएगी। यदि पार्टी का कोई बागी जीत दर्ज करता है तो परिस्थितियों के हिसाब से उस पर पार्टी की नजर रहेगी। निर्दलीयों के मामले में भी स्थिति ऐसी ही रह सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के एक प्रांतीय पदाधिकारी ने मंगलवार को कुछ बागियों और निर्दलीयों से बात भी की।
कांग्रेस ने बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में निर्दलीय और गैर भाजपाई दलों के जीत की संभावना रखने वाले प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। हालांकि यह कार्य अभी गुपचुप तरीके से ही किया जा रहा है। टिहरी सीट से ऐसे ही एक प्रत्याशी के बारे में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने रिपोर्ट भी मांगी है।
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प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस सरकार बनाने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है। कांग्रेस की नजर ऐसे निर्दलीय, दलीय और बागी प्रत्याशियों पर है, जो जीतने की क्षमता रखते हैं। अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट सीट से उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के प्रत्याशी पुष्पेश त्रिपाठी, देवप्रयाग सीट से दिवाकर भट्ट व टिहरी विधानसभा सीट से निर्दलीय दिनेश धनै से पार्टी को समर्थन मिलने की उम्मीद है। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने टिहरी से प्रत्याशी दिनेश धनै के संबंध में पार्टी के पर्यवेक्षक रहे सुरेश चंदेल से रिपोर्ट मांगी है। यमुनोत्री सीट पर पार्टी के बागी की स्थिति को भी मजबूत आंका जा रहा है। हरिद्वार में बसपा प्रत्याशियों को भी टटोला जा रहा है।