केंद्र सरकार ने ईडब्लूएस कोटे के पैमाने का पुनर्विलोकन करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को सामाजिक न्याय तथा सशक्तीकरण मंत्रालय ने वित्तीय रूप से कमजोर श्रेणी के लोगों को मिलने वाले 10 फीसदी कोटा के मानदंडों के पुनःविचार के लिए तीन सदस्यों वाली समिति का निर्माण किया है।
इस समिति में पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के सदस्य वी.के.मल्होत्रा तथा भारत सरकार के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल शामिल हैं। साथ ही समिति के पास कार्य पूरा करने के लिए तीन हफ्तों का समय है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र तथा मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी के 29 जुलाई को जारी नोटिस के खिलाफ छात्रों कि याचिका पर सुनवाई कर रहा है। नोटिस के अनुसार 2021 नीट-पीजी में चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेशार्थियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण तथा ईडब्लूएस को 10 प्रतिशत का आरक्षण दने के साथ 8 लाख रुपये सालाना वेतन सीमा का फैसला किया था।
SC ने दिया था पुनःविचार का सुझाव
जानकारी के अनुसार इस मामले में
SC ने सरकार को सुझाव दिय कि उन्हें इस नीति पर दोबारा से विर्चार करना चाहिए। कोर्ट का सुनवाई के दौरान कहना था कि केंद्र सार्वजनिक रुप से 10% कोटा देने के लिए वित्तीय रुप से कमजोर श्रेणी कि पहचान के लिए ऐसे ही 8 लाख रुपए का वार्षिक वेतन सीमा नहीं निकाल सकता। साथ ही केंद्र कि ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएम नटराजन को कोर्ट का कहना था कि उनके पास सामाजिक आर्थिक डेटा होने के साथ-साथ उन्होनें जो कार्य किए है वो कोर्ट को बताने होंगे।
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EWS कोटा कर सकता 50% आरक्षण नयम को भंग
उच्चतम न्यायालय का कहना था कि संविधान के अनुसार एससी, एसटी एवं ओबीसी को 49 फीसदी कोटा दिया गया है तो ऐसे में 10% ईडब्लूएस कोटा प्रदान करने से 50% आरक्षण के कानून को नष्ट कर सकता है। कोर्ट ने 8 लाख की सीमा तय करने के आधार के स्पष्टिकर्ण के लिए हलफनामा देने के लिए केंद्र को एक हफ्ते का समय दिया है।
अंजली सजवाण