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Chhattisgarh News : भवन की छत से गिर रहा प्लास्टर,खतरे में बच्चों की जान, कौन है जिम्मेदार ?

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित जगदलपुर के पास बास्तानार विकासखंड के जामगांव में शासकीय बालक आश्रम की हालत बेहद खराब हो चुकी है। यहां रहने वाले 100 बच्चों की जान खतरे में है क्योंकि भवन की छत से प्लास्टर गिर रहा है। सरकार ने मरम्मत के लिए 20 लाख रुपये दिए थे, लेकिन काम घटिया हुआ और पैसे का दुरुपयोग हुआ लगता है। अफसर और ठेकेदार पर आरोप हैं कि वे पैसे की मलाई खा रहे हैं, जबकि बच्चों की जान खतरे में हैं।

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लाखों रूपये मंजूर लेकिन काम अधूरा

आदिम जाति कल्याण विभाग चलाता है यह 100 सीटर बालक आश्रम। सरकार ने भवन की मरम्मत और सुधार के लिए करीब 20 लाख रुपये मंजूर किए थे। इसमें से ठेकेदार को 15 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है। लेकिन जब जगह पर जाकर देखा गया तो पता चला कि काम बहुत खराब तरीके से किया गया है।

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छह महीने पहले पुताई और मरम्मत हुई थी, लेकिन अब दीवारें और छत से प्लास्टर उखड़ रहा है। कई जगहों पर छत का प्लास्टर गिर चुका है। छत में लगी सरिया (लोहे की रॉड) दिखने लगी है और छत फूल गई है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे में यहां पढ़ने और रहने वाले आदिवासी बच्चों की जान को बड़ा खतरा है।

मरम्मत के नाम पर हुई खानापूर्ति

मरम्मत में टूटे दरवाजे-खिड़कियां ठीक करने और फर्श पर टाइल्स लगाने का भी प्लान था। टाइल्स के लिए तो 6 लाख रुपये चार महीने पहले ही ठेकेदार को दे दिए गए, लेकिन भवन में टाइल्स लगी हुई कहीं नहीं दिखती। दरवाजे-खिड़कियां भी पुरानी और टूटी ही हैं। पैसे कहां गए, यह बड़ा सवाल है।

सरपंच ने किए चौंकाने वाले खुलासे

जामगांव ग्राम पंचायत के सरपंच बामन गावड़े ने बताया कि मरम्मत का प्रस्ताव पंचायत ने ही सरकार को भेजा था। लेकिन काम मंजूर होने के बाद ठेकेदार ने दबाव बनाया कि उसने ही काम करवाया है और वही करेगा। सरपंच के मुताबिक, अधिकारियों और एसडीओ के कहने पर भुगतान किया गया। भुगतान न करने पर दबाव डाला गया।

वहीं इस मामले में एसडीओ हरिश साहू से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सरपंच पर कोई दबाव नहीं बनाया। काम की जांच भी उनके स्तर पर नहीं हुई। भुगतान की जानकारी के लिए वे सीईओ से बात करने को कहा।

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खतरे में बच्चों का भविष्य

केंद्र और राज्य सरकार शिक्षा को मजबूत बनाने और बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए बड़े-बड़े दावे करती हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसी घटनाएं इन दावों की पोल खोल रही हैं। यहां आदिवासी बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। सवाल यह है कि उच्च अधिकारी इस मामले में दोषी अफसरों और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई करेंगे या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?

यह घोटाला सिर्फ पैसे की बर्बादी नहीं, बल्कि बच्चों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को तुरंत जांच कराकर भवन की मरम्मत करानी चाहिए और दोषियों को सजा देनी चाहिए। ताकि दूसरे जगहों पर ऐसी गलती न हो।

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