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देहरादून : (रीयूजेबल पैड्स) सौख्यम पैड्स के साथ झंझट ख़त्म, जानिए इसके बारे में विस्तार से..

  • देहरादून : (रीयूजेबल पैड्स) सौख्यम पैड्स के साथ झंझट ख़त्म, जानिए इसके बारे में विस्तार से..
देहरादून (संवाददाता सपना पाण्डे एवम् सूरज रावत की रिपोर्ट) : आज भी हमारे देश में महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई और इससे होनी वाली अलग-अलग बीमारियों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं हैं .कई ग्रामीण हिस्सों में महिलाएं आर्थिक तंगी और सही जानकारी नहीं होने के चलते पैड्स की जगह पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं। गरीब महिलाओं की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सौख्यम पैड्स ने रीयूजेबल पैड्स बनाने की दिशा में काम शुरू किया है. इन पैड्स को महिलाएं धोकर बार-बार इस्तेमाल कर सकती हैं. मजे की बात ये है कि इस पैक को एक बार अगर आपने खरीद लिया तो तीन चार साल की छुट्टी. बाजार में मिलने वाले दूसरे पैड्स का इस्तेमाल एक बार ही हो पाता है. ये पैड्स डिस्पोजेबल भी नहीं होते लेकिन सौख्यम पैड्स के साथ ऐसा कोई झंझट नहीं है. इन पैड्स को कटे हुए केले के पेड़ के रेशो से बनाया जाता है. इन रेशो को कपड़े में लपेट कर बनाया जाता है. केले के पेड़ से बनने वाला सैनिटरी पैड रक्त सोखने के काम में ज्यादा अच्छा माना जाता है. सौख्यम पैड्स बनाने की पहल माता अमृतानंदमयी मठ ने की. जो लड़कियों और महिलाओं को उनके मासिक धर्म के लिए बेहतरीन साधन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी. मठ का नेतृत्व माता अमृतानंदमयी देवी करती हैं, जो आध्यातमिक और मनवतावादी गुरू के रूप में विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं. सौख्यम टीम ग्रामीण महिलाओं को पैडेस बनाने के लिए ट्रेन करती है और महिलाएं उन पैड्स को बेचती हैं. खासकर उन इलाकों में जो ऐसे मामलों में ज्यादा पिछड़े हुए हैं. इसके अलावा सौख्यम टीम मासिक धर्म में स्वच्छता रखने के लिए और डिस्पोजेबल पैड्स से होने वाले नुकसानों से अवगत कराने के लिए वर्कशॉप का आयोजन करती है. कहीं राज्यो में महिलाओं को रोजगार मिला है. ये पेड्स 3से 4साल तक चलते हैं. इससे आपके पैसों की भी बचत होती है क्योंकि हर महीने पैड्स खरीदने की जरूरत नहीं होती. सौख्यम पैड्स ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं. स्टार्टर पैक की कीमत 350रूपये है.अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संस्थाएं हैं जो केले के रेशों से डिस्पोजेबल पैड्स बनाती हैं. सौख्यम विश्वभर में पहली संस्था है जो इन रेशो से रीयूजेबल पैड्स बनाती है. सौख्यम को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान ने सौख्यम को मोस्ट इनोवेटिव प्रोडेक्ट का अवॉर्ड दिया है. इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान के लिए सौख्यम का भरपूर योगदान रहा है. मार्च 2020 में सौख्यम को सोशल एंटरप्राइज ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया. 5लाक से अधिक लड़कियों और महिलाओं ने सौख्यम पैड्स अपनाए हैं. इनके प्रयोग से 875 टन कचरा कम हुआ है. सौख्यम पैड्स की को-डायरेक्टर अंजू बिस्ट ने बताया कि इस दौरान सबसे बड़ी मुश्किल यही थी कि सस्ते और रीयूजेबल पैड्स कैसे बना सकते हैं? दूसरी चुनौती थी कि किस तरह से महिलाओं और लड़कियों को रीयूजेबल पैड्स के बार में जागरूक किया जाए. अपनी सबसे पहली मुश्किल का हल ढूंढ़ने के लिए हमने केले के पेड़ से निकलने वाले सेल्यूलोज फाइबर का इस्तेमाल कर पैड्स बनाने की शुरुआत की।

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