Dhirendra Krishna Shastri : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन जोड़ो एकता पदयात्रा 2.0 रविवार को अपने 10वें दिन वृंदावन में सम्पन्न हो गई। दिल्ली से 7 नवंबर को शुरू हुई यह पदयात्रा वृंदावन पहुंचकर चार धाम स्थित मैदान में आयोजित विशाल संत सम्मेलन में परिवर्तित हुई, जिसमें देशभर से आए साधु-संतों ने हिस्सा लेकर सनातन एकता का संदेश दिया।
सम्मेलन के उपरांत आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करने पहुंचे। मंदिर सेवायतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य उन्हें बिहारी जी का दुपट्टा, प्रसादी और अंगवस्त्र भेंट किए। आराध्य के समक्ष दीप प्रज्वलित कर उन्होंने हिंदू राष्ट्र की कामना की। दर्शन उपरांत पदयात्रा का औपचारिक समापन घोषित किया गया, जहां शास्त्री भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य सनातन समाज को संगठित कर जागरण का संदेश देना है।
मंदिर प्रवेश के दौरान विवाद
दर्शन के दौरान स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब आचार्य धीरेंद्र शास्त्री अपने सुरक्षा घेरे के साथ हर गुलाल हवेली के पास पहुंचे। यहां मंदिर सुरक्षा गार्डों ने भारी पुलिस बल को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की। इसी बीच पुलिस और सुरक्षा कर्मियों में धक्का-मुक्की और मारपीट की नौबत आ गई।
घटना में शास्त्री के साथ चल रहे कथावाचक मृदुल कांत शास्त्री को पुलिस ने धक्का दिया, जिससे उनके कपड़े फट गए। मृदुल कांत शास्त्री ने देर रात वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि मंदिर के भीतर भी पुलिस ने उनके साथ हाथापाई की और उनके साथी बल्लभजी को भी धक्का दिया। हालांकि, इंस्पेक्टर वृंदावन संजय पांडे ने किसी भी तरह की मारपीट से इंकार किया।
पदयात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री का उद्देश्य धर्मध्वज को बांके बिहारी जी को समर्पित करना था, लेकिन मंदिर में ऐसी परंपरा न होने के कारण अब यह धर्मध्वज दाऊजी मंदिर में समर्पित किया जाएगा।
आचार्य शाम करीब साढ़े आठ बजे मंदिर पहुंचे, जबकि समापन स्थल से वे साढ़े पांच बजे ही रवाना हो गए थे। उनके साथ हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई और सड़क के दोनों ओर 25 हजार से अधिक लोग दर्शन को उमड़ पड़े। भीड़ बढ़ने पर पदयात्रा का रूट बदलकर ओमेक्स के पीछे रामताल मार्ग, सुनरख मार्ग और परिक्रमा मार्ग से होकर गुजरना पड़ा। मंदिर पहुंचने तक वहां पहले से ही भारी भीड़ मौजूद थी।
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