चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च से संबंधित दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र के अलावा हरियाणा और पंजाब राज्यों को नोटिस जारी किये।
याचिकाकर्ताओं में से एक ने अदालत से किसानों के विरोध-प्रदर्शन के खिलाफ हरियाणा और पंजाब की सरकारों तथा केंद्र सरकार की सभी ‘‘अवरोधक’’ कार्रवाइयों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है जबकि दूसरे याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कोई राजमार्ग अवरुद्ध न किया जाए क्योंकि इससे आम जनता का दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ये याचिकाएं कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति लपीता बनर्जी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं।
सुनवाई के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि अदालत ने नोटिस जारी किये हैं और सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी तय की है।
उन्होंने अदालत को बताया कि तीन केंद्रीय मंत्रियों ने पहले आठ फरवरी को किसान नेताओं के साथ बैठक की थी और फिर दो मंत्रियों ने सोमवार को एक और दौर की बैठक की।
जैन ने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का विचार है कि मामले को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए।
कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर जैन ने कहा कि अदालत को सूचित किया गया कि यह राज्य का विषय है।
हरियाणा के पंचकुला में रहने वाले याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने अदालत से किसानों के विरोध के खिलाफ हरियाणा और पंजाब की सरकारों और केंद्र सरकार की सभी अवरोधक कार्रवाइयों पर रोक लगाने के निर्देश देने का अनुरोध किया।
याचिका में उन्होंने कहा कि यह मुद्दा हरियाणा के अधिकारियों द्वारा हरियाणा और पंजाब के बीच सीमा, विशेषकर अंबाला के पास शंभू सीमा पर गैरकानूनी तरीके से आवाजाही प्रतिबंधित करने से संबंधित है, जिसका उद्देश्य किसानों को इकट्ठा होने और शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करने के अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने से रोकना है।
वहीं, अरविंद सेठ द्वारा दायर दूसरी याचिका में पंजाब, हरियाणा, केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कोई भी राजमार्ग या अन्य सड़क अवरुद्ध न की जाए।