उत्तराखंड : उत्तराखंड में पिछले दो दशकों में पहाड़ों से पलायन कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। पहले रोजगार की तलाश में गांव खाली हो रहे थे। लेकिन अब गुलदार और जंगली जानवरों के आंतक ने लोगों को ना चाहते हुए भी गांव छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। यूं तो प्रदेश में आये दिन गुलदार के आंतक की खबरें सामने आती हैं।
पौढ़ी गढ़वाल के यमकेश्वर विधानसभा के दुगड्डा ब्लॉक मुख्यालय के गोदी गांव में गुलदार की दहशत के कारण गांव पूरी तरह से खाली हो गया है। कभी इस गांव में 12-14 परिवार रहा करते थे लेकिन अब ये गांव पूरी तरह विरान हो चुका है। इस गांव में गुलदार ने 19 जुलाई को एक महिला को घायल कर दिया जिसके बाद उसकी मौत हो गई। 9 महीने पहले भी गुलदार एक 9 साल की बच्ची को आंगन से उठाकर ले गया था।
इससे पहले कोरोना काल में मनोज चौधरी 20 साल के बाद जुलाई में दिल्ली से सपरिवार गांव वापस लौटे थे। लेकिन यहां लौटने के 9 दिन बाद ही उनकी पत्नी की गुलदार के हमले में मौत हो गई। गांव में गुलदार की दहशत से सभी ग्रामीणों ने एक साथ गांव छोड़ देने में ही भलाई समझी। अब सभी ग्रामीण निकट बाजार दुगड्डा में किराये के घरों में रह रहे हैं।