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उत्तरकाशी कें मनरेगा में काम करते वक्त चार महिलाएं मलबे में दबीं, एक की मौत

उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के फिताड़ी गांव में मनरेगा के तहत मिट्टी निकालते समय चार महिलाएं मलबे में दब गईं. महिलाओं के मिट्टी में दबने की जानकारी मिलने पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे. ग्रामीणों ने चारों महिलाओं को मिट्टी के ढेर से बाहर निकाला. बताया जा रहा है कि एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई. उसे सीएचसी मोरी लाया जा रहा था. तब तक इस महिला की मौत हो गई थी. तीन घायल महिलाओं को सीएचसी ले जाया जा रहा है. मलबे में दब गईं महिलाएं- बताया जा रहा है कि हादसा मिट्टी निकालते समय ऊपर से मलबा आने से हुआ है. मलबे में चार महिलाएं दब गई थीं. जिन्हें ग्रामीणों ने मिट्टी के ढेर से बाहर निकाल लिया था. इनमें सें एक महिला की हालत बहुत गंभीर थी. ग्रामीणों ने तुरंत सभी घायल महिलाओं को सीएचसी मोरी रवाना किया. लेकिन इस दौरान गंभीर रूप से घायल एक महिला ने दम तोड़ दिया था. ये महिलाएं मनरेगा योजना के तहत काम कर रही थीं

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क्या है मनरेगा- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा/MNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं. इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों.

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