ज्ञानवापी मामले में आज अहम दिन हो सकता है।इस मामले में बीते 15 अक्तूबर को अदालत में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो गई थी और आदेश के लिए 27 अक्तूबर गुरुवार की तिथि नियत की गई थी। 18 अक्तूबर तक दोनों पक्षों को लिखित बहस दाखिल करने को कहा गया था। 8 नवंबर को जज के अवकाश पर रहने के कारण आदेश नहीं आ सका था।
इस प्रकरण में वादिनी किरन सिंह की तरफ से मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित करने, परिसर हिंदुओं को सौंपने और शिवलिंग की पूजा पाठ राग भोग की अनुमति मांगी गई थी। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने बयान जारी कर बताया कि ज्ञानवापी परिसर से संबंधित मुकदमा भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट का आदेश 14 नवंबर को आएगा।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने दलीलें रखी थी कि राइट टू प्रॉपर्टी के तहत देवता को अपनी प्रॉपर्टी पाने का मौलिक अधिकार है। ऐसे में नाबालिग होने के कारण वाद मित्र के जरिये यह वाद दाखिल किया गया है। भगवान की प्रॉपर्टी है, तब माइनर मानते हुए वाद मित्र के जरिये क्लेम किया जा सकता है। स्वीकृति से मालिकाना हक हासिल नहीं होता है। यह बताना पड़ेगा कि संपत्ति कहां से और कैसे मिली। अदालत में वाद के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की 6 रूलिंग और संविधान का हवाला भी दिया गया।
वहीं मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से मुमताज अहमद, तौहीद खान, रईस अहमद, मिराजुद्दीन खान और एखलाक खान ने कोर्ट में प्रतिउत्तर में सवाल उठाते हुए कहा था कि एक तरफ कहा जा रहा है कि वाद देवता की तरफ से दाखिल है। वहीं दूसरी तरफ पब्लिक से जुड़े लोग भी इस वाद में शामिल हैं।