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इमरान को वकील की हत्या के मामले में मिली जमानत।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से एक मामले में राहत मिली है।

इस्लामाबाद हाई कोर्ट: वकील की हत्या के मामले में इमरान को मिली जमानत; आठ अन्य याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित इमरान को वकील की हत्या के मामले में मिली जमानत। पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के प्रमुख इमरान खान का नाम वकील अब्दुल रज्जाक शर की हत्या में शामिल था। वे सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते थे। छह जून को क्वेटा में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर अब्दुल रज्जाक शर की हत्या कर दी थी। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट से एक मामले में राहत मिली है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ एक वरिष्ठ वकील की हत्या के आरोप में दर्ज मामले में गुरुवार को अदालत उन्हें सुरक्षात्मक जमानत दे दी है। साथ ही आठ अन्य मामलों में खान द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के प्रमुख इमरान खान का नाम वकील अब्दुल रज्जाक शर की हत्या में शामिल था। वे सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते थे। छह जून को क्वेटा में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर अब्दुल रज्जाक शर की हत्या कर दी थी। इसके बाद शर के बेटे ने आरोप लगाया था कि उसके पिता की हत्या पूर्व पीएम के इशारे पर की गई थी। उसने बताया था कि वकील शर ने बलूचिस्तान हाई कोर्ट में इमरान खान के खिलाफ मामला दायर किया था। इसके बाद, संघीय सरकार और इमरान की पीटीआई पार्टी ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया था। दोनों पक्षों ने हत्या में एक दूसरे की भूमिका की बात कही थी। बाद में, पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट (आईएचसी) में एक याचिका दायर कर राहत की मांग की थी। उनकी याचिका पर आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। शुरुआती बहस के बाद पीठ ने इमरान खान को दो सप्ताह की सुरक्षात्मक जमानत दे दी थी। इससे पहले, इमरान खान लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे थे। जहां नौ मई को उनकी गिरफ्तारी और तोशखाना भ्रष्टाचार मामले में हिंसक विरोध से जुड़े एक दर्जन से अधिक मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं के लिए उनको पेश होना था। इससे इतर इस्लामाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश फारूक ने आठ याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इनमें से छह नौ मई की हिंसा से जुड़ी थीं और एक-एक हत्या के प्रयास और राज्य संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने से संबंधित थीं।

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