Rahul Gandhi FIR : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगमियों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी मुश्किल में फंस गए हैं। 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के सकरा क्षेत्र में चुनावी रैली के दौरान दिए गए बयानों पर उनके खिलाफ कोर्ट में परिवाद दर्ज हो गया है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर कथित अपमानजनक टिप्पणी और छठ महापर्व पर ‘ड्रामा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल शामिल है। यह मामला अब सियासी रंग ले चुका है। एनडीए इसे बिहार की अस्मिता से जोड़ रहा है, जबकि महागठबंधन राजनीतिक साजिश बता रहा है।
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क्या कहा था राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी ने मुजफ्फरपुर की रैली में पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, “चुनाव जीतने के लिए वो स्टेज पर नाच भी लेंगे। अगर आप कहेंगे तो भारतनाट्यम भी कर लेंगे, लेकिन चुनाव खत्म होते ही नजर नहीं आएंगे।” इसके अलावा, छठ पूजा को लेकर उन्होंने कहा कि एनडीए नेता चुनाव से पहले छठ का ड्रामा करते हैं। ये बयान वायरल हो गए और विवादास्पद साबित हुए।
वकील सुधीर कुमार ओझा ने दायर की शिकायत
यह शिकायत मुजफ्फरपुर के मशहूर वकील सुधीर कुमार ओझा ने दायर की है। ओझा अक्सर नेताओं के बयानों पर कोर्ट जाते रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल के शब्दों से करोड़ों हिंदुओं और बिहारियों की भावनाएं आहत हुईं। परिवाद में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस), 356(2) (मानहानि), 352 और 353 (अपमानजनक शब्द) का हवाला दिया गया है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) की कोर्ट ने परिवाद स्वीकार कर लिया। अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 को होगी, जो चुनाव के ठीक बीच आएगी।
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एनडीए का हमला, महागठबंधन का बचाव
इस बयान पर पीएम मोदी ने मुजफ्फरपुर रैली में पलटवार किया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस-आरजेडी वाले छठी मैया की पूजा को ड्रामा और नौटंकी कहते हैं। जो निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं, उनका अपमान बिहार की बेटियों का अपमान है।” अमित शाह ने बोला, “राहुल बाबा को छठ की जानकारी ही नहीं, जो विदेश भागते हैं। बिहार वाले इसका बदला लेंगे।” बीजेपी ने चुनाव आयोग से राहुल के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की। दूसरी तरफ, कांग्रेस इसे बदले की राजनीति बता रही है। तेजप्रताप यादव ने भी राहुल का बचाव किया, लेकिन आलोचना भी की।
बिहार चुनाव पर असर!
यह पहला केस नहीं है ओझा का। वे पहले भी बड़े नेताओं पर शिकायत कर चुके हैं। कोर्ट का फैसला राहुल की मुश्किलें बढ़ा सकता है। चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को हैं, नतीजे 14 नवंबर को। यह विवाद बयानबाजी की मर्यादा पर बहस छेड़ रहा है। बिहार की जनता अब देख रही है कि क्या यह एनडीए को फायदा देगा या महागठबंधन को नुकसान।
