कोयला और खनन केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के यूक्रेन में फंसे छात्रों पर दिए बयान के बाद से राजनीति गर्म हो गई है। उत्तराखंड के पूर्व मुंख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रह्लाद जोशी के बयान पर तल्ख टिप्पणी की है। हरीश रावत ने कहा कि इस समय यूक्रेन में फंसे बच्चों को सुरक्षित निकालने की बजाय बेहयाई पूर्ण बयान देकर कष्ट पहुंचा रहे हैं। बता दें कि केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि विदेश में पढ़ने वाले 90 फीसदी मेडिकल स्टूडेंट नीट एग्जाम पास नहीं कर पाते हैं यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार जोर-शोर से अभियान चलाए हुए है।
इसी बीच केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक विवादित बयान दिया है. जिस पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने प्रतिक्रिया दी है. हरीश रावत ने ट्वीट कर लिखा कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी जी का बहुत ही कष्ट पहुंचाने वाला बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि यूक्रेन में पढ़ रहे बच्चे जो वहां मेडिकल एजुकेशन लेने के लिए गए हैं वो अक्षम हैं, वो भारत में नीट की परीक्षा भी पास नहीं कर सकते हैं हरीश रावत ने बोला बड़ा हमला हरीश रावत ने आगे लिखा है कि प्रह्लाद जोशी जी इस समय प्रश्न यह नहीं है कि वो नीट की परीक्षा पास कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं।
प्रश्न यह है कि उनकी जिंदगी को बचाने के लिए केंद्र सरकार क्या कदम उठा रही है? पहले ही आपने बहुत विलंब कर दिया और जब साक्षात उनके सर पर मौत खड़ी है तो आप इस तरीके का बेहयाई पूर्ण बयान देकर भारत के प्रबुद्धजन मानस को कष्ट पहुंचा रहे हैं, प्रह्लाद जोशी अपने इस बयान के लिए क्षमा मांगें, वो संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते केंद्र सरकार के प्रवक्ता भी हैं।
उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन बच्चों की निकासी की व्यवस्था एक माह पहले से प्रारंभ हो जानी चाहिए थी, उनकी आज जिंदगी खतरे में है, तब भी बहुत कम संख्या में उनको बाहर निकाला जा सक रहा है. एक कर्नाटक के विद्यार्थी की जान भी चली गई है प्रह्लाद जोशी ने क्या कहा था।
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बता दें कि केंद्रीय संसदीय कार्य एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया बचाव अभियान एक बड़ी चुनौती है. इसी के साथ उन्होंने दावा करते हुए कहा कि ‘विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 90 प्रतिशत भारतीय भारत में योग्यता परीक्षा पास करने में फेल होते हैं. हालांकि जोशी ने कहा कि यह बहस करने का सही वक्त नहीं है कि छात्र मेडिकल की स्टडी करने के लिए देश के बाहर क्यों जा रहे हैं