डीजी जेल हेमंत कुमार लोहिया की हत्या के बाद घाटी एक बार फिर दहल गई है। लोहिया की हत्या इतनी बेरहमी से की गई। तो कांच की बोतल से पहले उनका गला रेता गया, शरीर पर कई जगह वार किया गया। इसके बाद शव को जलाने की भी कोशिश की गई।
सूत्रों की मानें तो इस नृशंस हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में किसी भी आतंकी एंगल से इनकार किया है।
कब सामने आया यह संगठन
TRF की कहानी 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के साथ ही शुरू होती है। कहा जाता है कि इस हमले से पहले ही इस आतंकी संगठन ने घाटी के अंदर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। 2019 को जैसे ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई, यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। टीआरएफ को फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया था। पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में रखा था।इसका मकसद घाटी में फिर से 1990 वाला दौर वापस लाना है।
कैसे तय होता है TRF का शिकार?
टीआरएफ के हैंडलर सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया पर कश्मीर के अंदर होने वाली हर राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इसके जरिए यह संगठन अपने टारगेट को भी चुनता हैं। बीते दिनों टीआरएफ कई लोगों की हिटलिस्ट भी जारी कर चुका है।