यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व राज्य में पिछड़े वर्ग में पैठ रखने वाले नेताओं के बीजेपी छोड़कर जाने से बीजेपी को बहुत झटका लगा है। बीते दिनो भाजपा विधायको के पार्टी छोड़कर जाने का सिलसिला जारी रहा।
जानकारी के अनुसार पडरौना (कुशीनगर) से विधायक व प्रदेश सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, मऊ के मधुबन से विधायक व मंत्री दारा सिंह चौहान, सहारनपुर के नकुड़ से विधायक व राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभारी धर्म सिंह सैनी, बांदा के तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति, कानपुर देहात के बिल्हौर से भगवती प्रसाद सागर, शाहजहांपुर की तिलहर से रोशन लाल वर्मा, औरैया की विधूना से विनय शाक्य, लखीमपुर खीरी से विधायक बाला प्रसाद अवस्थी व शिकोहाबाद के विधायक मुकेश वर्मा समेत अन्य कई नेता बीजेपी त्याग चुके है।
पिछड़े वर्ग के इन मंत्रीयों के भाजपा से चले जाने से पार्टी के मौजूदा विधायकों की दिक्कते बढ़ गई है साथ ही विधायकों का मानना है कि इस बात का प्रभाव राज्य के उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जहां जाति व समाज के लोग मुख्य भूमिका निभाते हैं। इन विधायकों के बीजेपी छोड़कर जाने की पार्टी के बड़े नेता चिंतित है तथा वह बीते दो दिनो से पिछड़े वोट बैंक को संदेश देने का प्रयास कर रही है कि उनके दल में बैकवर्ड वर्ग को आगे बढ़ने का चांस प्राप्त हो सकता है।
बीजेपी में ‘पी’ का मतलब है पिछड़ों की उन्नति
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का बीते कहना था कि ओबीसी समाज को सामाजिक, राजनीतिक और इकोनमिक रिप्रेजेंटेशन का अवसर जितना बीजेपी में प्राप्त हुआ उतना किसी सरकार में नहीं मिला। प्रदेश अध्यक्ष का आगे कहना था कि उनके लिए ‘पी’ का मतलब पिछड़ों की उन्नति है वहीं कुछ लोगों के लिए ‘पी’ का मतलब केवल पिता, पुत्र और परिवार का उन्नति है।
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दूसरी सीटों पर भी बढ़ेंगी परेशानियां
बीजेपी नेताओं का मानना है कि समय पर नुकसान संभाला नहीं गया तो पार्टी छोड़कर जाने वाले बैकवर्ड वर्ग के विधायक न केवल खुद की सीट पर पार्टी के वोट बैंक पर असर डालेगे साथ में दूसरी सीटों पर भी परेशानियां बढ़ाएंगे।
अंजली सजवाण