शुक्रवार को लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार का कहना था कि, भारत में 21 वीं शताब्दी में भी जाति व्यवस्था बरकरार है। उनके अनुसार सभी को आधुनिकता के मार्ग पर चलते हुए वैश्विक नागरिक बनना चाहिए। बता दें कि दलित समुदाय से आने वाली व पूर्व राजनयिक मीरा कुमार का राजेंद्र भवन में आयोजित एक समारोह में कहना था कि, उनके पिता बाबू जगजीवन राम को भी जाति भेदभाव झेलने के कारण से “हिंदू धर्म त्यागने” के लिए कहा गया था।
मीरा ने कहा उनके पिता लोगों से पूछते थे कि, क्या धर्म बदलने से किसी की जाति बदल जाती है? वह अपना धर्म नहीं छोड़ेंगे व साथ जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ेंगे।
बुद्ध के जीवन पर अधारित कविता
जानकारी के अनुसार मीरा से पूर्व राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने नयी पुस्तक “द लाइट ऑफ एशिया: द पोयम डैट डिफाइंड बुद्धा” पर एक उल्लेख दिया। 1879 में पहली बार प्रकाशित हुई एडविन आर्नोल्ड कि पुस्तक “ लाइट ऑफ एशिया” में बुद्ध के जीवन को एक कविता के रुप में प्रस्तुत किया गया है। रमेश के अनुसार उनकी किताब एक प्रकार से उस व्यक्ति की जीवनी भी है जिसने बुद्ध के “दैव पक्ष” को न देखकर उनके “मानव पक्ष” को देखा।
किताब लिखने का कारण हिंदू-बौद्ध संघर्ष
रमेश का कहना था कि जहां तक बिहार के बौद्ध गया में स्थित महाबोधि मंदिर के प्रबंधन का सवाल है उनकी पुस्तक हिंदू-बौद्ध संघर्ष के समझौते की बात भी करती है। यह किताब उन्होंने अयोध्या के संदर्भ में दोनों धर्मों के मध्य संघर्ष के समाधान को समझने के कारण से भी लिखी थी। रमेश के अनुसार कई अंबेडकरवादी बौद्ध जो धर्मगुरु नहीं बल्कि कार्यकर्ता हैं। उन लोगों का हमेशा से कहना है कि, यदि रामजन्मभूमि मामले में सो प्रतिशत नियंत्रण हिंदुओं को मिल सकता है तो भगवान बुद्ध की कर्मभूमि का सौ प्रतिशत नियंत्रण बौद्धों को क्यों नहीं मिल सकता है।
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मीरा से पुछा जाता था उनका गोत्र
बता दें कि कुमार ने किताब लिखने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि, इसने लोगों का दम घोटने वाली सामाजिक व्यवस्था का एक बंद दरवाजा खोलने में सहायता की है। उनके कहना था कि, हम 21 वीं सदी में रहते हैं। हमारे पास चमकदार सड़के है किंतु आज भी उनपर चलने वाले लोग जाति भेद से प्रभावित हैं। हमारी मानसिकता कम चमकेगी? यहां दो प्रकार के हिंदू हैं एक वे जो मंदिर जा सकते हैं, दूसरे मेरे जैसे जो नहीं जा सकते। साथ ही उनसे पुजारी द्वारा उनका गोत्र पुछा जाता था किंतु वह कहती थी कि उनकी परवरिश वहां हुई है जहां जाति नहीं मानी जाती। मीरा का कहना है हमें विभिन्न धर्मों से अच्छी बातें सिखने को मिलती है तथा यही हमारी विरासत है।
अंजली सजवाण