हरिद्वार पहुंचा विश्व तीर्थ बचाओ अभियान दल
हरिद्वार से संवाददाता मनिता रावत : । यह दल दुनिया के सबसे बड़े तीर्थ गंगा के दर्शन करने और भारतीय संतों से यह जानने आ रहे हैं कि भारतीय आस्था में प्रकृति रक्षा का व्यवहार और संस्कार कैसे बना? यह संस्कार और व्यवहार कब शुरू हुआ? भारतीय मानवता और प्रकृति का बराबरी से सम्मान करने का आधार क्या है? अभी भी मातृ सदन के स्वामी श्री शिवानंद सरस्वती जी जैसे संतों में आर्थिक लोभ लालच की विमुक्ति से प्रकृति की संस्तुति कैसे होती है?
प्रकृति को भगवान मानकर जिन पंचमहाभूतों से प्रकृति का सृजन हुआ, उनका भारत ने बहुत लंबे काल तक प्रेम, सम्मान, श्रद्धा, आस्था और भक्ति की । यह भक्ति भाव कैसे और क्यों कम हुआ? यह संवाद करने के लिए पावन धाम, मातृ सदन, शंकराचार्य मठ, जयराम आश्रम आदि तीर्थ स्थान पर यह दल जाएगा ।
15 नवंबर 2023 को मातृ सदन में विश्व तीर्थ बचाओ सम्मेलन आरंभ होगा और शाम 4 से 5 के बीच शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे । आज शाम को गंगा आरती और पावन धाम में कई विविध कार्यक्रम होंगे जिनमें संतों के साथ-साथ जनमानस को सुनेंगे ।
16 नवंबर को मातृ सदन हरिद्वार में विश्व तीर्थ बचाओ सम्मेलन सतत जारी रहेगा । सम्मेलन में 12 देश जिनमें पुर्तगाल, अमेरिका, बेल्जियम, पेरू, बेनिन गणराज्य,कैमरून, कोलंबिया, फ्रांस, जर्मनी, चिली, इजराइल और भारत के 19 प्रतिभागी सम्मिलित होंगे ।
प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार हैं :-
1. जल पुरुष राजेन्द्र सिंह जी – भारत
2.बारबरा कोवट्ज – पुर्तगाल
3. ग्रेबियल मियर – इजराइल
4. मिगुल एंजल पिमेंटल पाज़ – पेरू
5.आईडोमर वर्गस – कोलंबिया
6. नेवैथ वर्गस – कोलंबिया
7. सिलवानों रिज़्जी – पुर्तगाल
8. टीना मारिया पुगलीश – यूएसए
9. आईदा सिबली – पुर्तगाल
10. सलीम डारा -बेनिन गणराज्य
11. कोणकनकोह जोशुआ – कैमरून
12. बारबरा – चिली
13. नोह विलियम्स – यूएसए
14. बारबरा – जर्मनी
15. लेटिसिया हुर्तउ – फ्रांस
16. टोकाटवीन चेस – यूएसए
17. मिगुल हंबलेट – बेल्जियम
18. रमेश शर्मा जी – भारत
19. इंद्र शेखर सिंह जी – भारत
यह यात्री दल हिमालय की हरियाली और गंगा की पवित्रता के संबंध से बने गंगत्व(बायोफाज) का भी प्राकृतिक अध्ययन करेंगे । इस यात्रा दल का लक्ष्य है कि दुनिया में जो जलवायु परिवर्तन का संकट जिस लालच के कारण बढ़ता जा रहा है, उस समस्या का समाधान भारतवर्ष के लोगों की प्रकृति के आस्था व पर्यावरण रक्षा के व्यवहार व संस्कार को जानना व इसका समाधान भारत के मूल ज्ञान में खोजना है ।
द्वारा – परम पूज्य श्री गुरूदेव स्वामी श्री शिवानंद जी महाराज, संस्थापक अध्यक्ष मातृ सदन,
जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, सुखाड़ बाढ़ विश्व जन आयोग (स्वीडन),
श्रीकुंज, कंट्रोलर ट्रस्टी, पावनधाम
स्थान – मातृ सदन, हरिद्वार