हमास-इस्राइल के बीच युद्धविराम के लिए क्या है प्रस्ताव, अमेरिका ने क्यों नहीं किया वोट?
अमेरिका एकलौता देश था जो युद्धविराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। अमेरिका के इस रुख को लेकर इस्राइल ने नाराजगी भी जताई है। इस बीच, अमेरिका द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देने के बाद इस्राइली प्रतिनिधिमंडल की वाशिंगटन यात्रा रद्द हो गई है। इन तमाम घटनाक्रमों ने दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है।
बीते पांच महीने से ज्यादा समय से हमास और इस्राइल के बीच जंग छिड़ी हुई है। पिछले साल 7 अक्तूबर से जारी खूनी लड़ाई में हजारों लोगों की जान चली गई है। लाखों लोगों को अपने घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। हालांकि, इस दौरान एक मौका ऐसा आया है जब थोड़े दिनों के लिए युद्धविराम हुआ। अब सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हमास और इस्राइल के बीच तत्काल युद्धविराम के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया, जो पारित हो गया।
अमेरिका एकलौता देश था जो युद्धविराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। अमेरिका के इस रुख को लेकर इस्राइल ने नाराजगी भी जताई है। इस बीच, अमेरिका द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देने के बाद इस्राइली प्रतिनिधिमंडल की वाशिंगटन यात्रा रद्द हो गई है। इन तमाम घटनाक्रमों ने दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है।
आइये जानते हैं कि हमास और इस्राइल युद्ध को लेकर क्या प्रस्ताव आया है? युद्धविराम के प्रस्ताव में क्या-क्या है? पहले हुए युद्धविराम में क्या हुआ था? प्रस्ताव से अमेरिका ने दूरी क्यों बनाई? प्रस्ताव पर इस्राइल का क्या कहना है?
हमास और इस्राइल युद्ध को लेकर कौन सा प्रस्ताव पारित हुआ है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को गाजा पट्टी में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने वाला एक नया प्रस्ताव पारित कर दिया है। प्रस्ताव में मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के साथ-साथ तमाम बंधकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई की बात कही गई है। इससे पहले पिछले शुक्रवार को अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक मसौदे को रूस और चीन ने वीटो कर दिया था।
मोजाम्बिक के राजदूत पेरो अफोंसो ने यूएन सुरक्षा परिषद के 10 निर्वाचित अस्थाई सदस्य देशों की ओर यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें मुख्य रूप से तीन मांगें की गई थीं। प्रमुख मांग में गाजा में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता का प्रावधान शामिल है।
युद्धविराम ने प्रस्ताव में क्या-क्या हुआ?
इस प्रस्ताव के पक्ष में 14 वोट डाले गए, जबकि अमेरिका ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव के मसौदे में ‘स्थाई’ युद्धविराम शब्द का इस्तेमाल किया गया था, जिसे बदल कर ‘तुरंत’ युद्धविराम कर दिया गया। 7 अक्तूबर 2023 को इस्राइल पर हमास के हमलों और उसके बाद गाजा में इस्राइल की जवाबी कार्रवाई के बाद से अब तक सुरक्षा परिषद में इस विषय पर कई प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। मगर, सुरक्षा परिषद के कुछ स्थाई सदस्य देशों (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका) ने अपने वीटो अधिकार के जरिये नकार दिया।
इस प्रस्ताव में 11 मार्च को शुरू हुए रमजान के महीने में युद्धविराम लागू किए जाने की मांग की गई है। साथ ही इस्राइल पर हमलों के दौरान बंधक बनाए लोगों में से शेष 130 लोगों को रिहा किए जाने की मांग की गई है। वहीं, गाजा में जरूरतमंद आबादी तक मानवीय सहायता पहुंचाने पर बल दिया गया है।
नए मसौदे के अहम बिन्दु क्या हैं?
रमजान के महीने के लिए तुरंत युद्धविराम की मांग की गई है, जिसका सभी पक्षों द्वारा सम्मान किया जाना होगा। साथ ही इससे एक स्थाई, सतत युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त होगा।
सभी बंधकों की तत्काल और बिना किसी शर्त के रिहाई की जानी होगी। बंधकों की चिकित्सा और अन्य मानवतावादी आवश्यकताएं पूरी करनी होंगी।
हिरासत में रखे गए सभी बंदियों के संबंध में सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने तयशुदा दायित्वों का निर्वहन करना होगा।
गाजा में मानवीय सहायता का प्रवाह जल्द से जल्द बढ़ाने पर बल दिया गया है ताकि पूरी गाजा पट्टी में आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके।
मानवीय सहायता के मार्ग में आने वाले सभी अवरोधों को दूर करने की मांग की गई है।
युद्धविराम का प्रस्ताव क्यों लाया गया?
दरअसल, 7 अक्तूबर 2023 को हमास ने इस्राइल में हमला किया था। इन हमलों में 1,200 से अधिक लोगों की जान गई थी और 240 को बंधक बना लिया गया था। इसके बाद इस्राइली कार्रवाई में अब तक 32 हजार फलस्तीनी मारे गए गए हैं और हजारों अन्य लोग घायल हुए हैं।
यूएन ने कहा है कि गाजा में जारी लड़ाई और इस्राइली बमबारी के बीच जल और विद्युत व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसके अलावा यहां मानवीय सहायता को प्रभावित इलाकों में पहुंचाने के मार्ग बंद हैं।
गाजा पट्टी में हिंसक टकराव पर विराम लगाने के लिए सुरक्षा परिषद की कई बैठकें हो चुकी हैं, मगर फिलहाल यह सम्भव नहीं हो पाया है। नवम्बर 2023 में एक सप्ताह के लिए लड़ाई रोकी गई थी और गाजा से बंधकों और इस्राइल से फलस्तीनी बंदियों की अदला-बदली हुई थी। मगर, इसके बाद लड़ाई फिर भड़क उठी और इसमें तेजी आई है। गाजा में मृतक संख्या और भूख व कुपोषण से प्रभावित फलस्तीनियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसके मद्देनजर लड़ाई को जल्द से जल्द रोके जाने और मानवीय पीड़ा पर मरहम लगाने की मांग भी प्रबल हो रही है।
प्रस्ताव से अमेरिका ने दूरी क्यों बनाई?
युद्धविराम प्रस्ताव पर हुए मतदान से अमेरिका दूर रहा। शेष 14 परिषद सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। मतदान से दूरी बनाने पर अमेरिका की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड के अनुसार युद्धविराम प्रस्ताव पारित करने में देरी हुई है और इसके लिए हमास को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा, ‘हम प्रस्ताव की हर बात से सहमत नहीं थे, यही कारण था कि अमेरिका अनुपस्थित रहा।’
थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘कुछ प्रमुख संशोधनों को नजरअंदाज कर दिया गया, जिसमें हमास की निंदा जोड़ने का हमारा अनुरोध भी शामिल है।’ वहीं व्हाइट हाउस ने कहा कि अंतिम प्रस्ताव में वह भाषा नहीं थी जिसे अमेरिका आवश्यक मानता है और उसका अनुपस्थित रहना नीति में बदलाव नहीं बताता है।
प्रस्ताव पर इस्राइल का क्या कहना है?
इस प्रस्ताव से इस्राइल ने अलग रुख अपनाया है। यूएन में इस्राइली राजदूत गिलाद ऐर्दान ने सुरक्षा परिषद को ही कठघरे में खड़ा किया और सवाल किया कि पीड़ितों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में हुए घातक हमले की निंदा की गई थी, मगर सुरक्षा परिषद 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमले की निंदा करने में परिषद विफल रही है। उनके अनुसार सुरक्षा परिषद ने संहार की निन्दा करने से मना कर दिया, जोकि शर्मनाक है।
इसके अलावा इस्राइल ने अमेरिका के रुख को लेकर नाराजगी जाहिर की है। इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने प्रस्ताव पर अमेरिका के दूर रहने को इसमें वीटो करने में अमेरिका की विफलता बताया है। कहा गया कि यह अमेरिका की पिछली स्थिति से स्पष्ट रूप से पीछे हटना दिखाता है।
इसके साथ ही नेतन्याहू के कार्यालय ने यह भी कहा कि अमेरिका की नई स्थिति के मद्देनजर नेतन्याहू अमेरिका में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजेंगे। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस्राइली अधिकारियों से मिलने का अनुरोध किया था। इस बैठक में दक्षिणी गाजा में राफा पर जमीनी आक्रमण की इस्राइली योजनाओं पर चर्चा होनी थी। अब व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि नेतन्याहू के फैसले से अमेरिका निराश है।