देश में अब तक आई कोरोना संक्रमण की तीन लहरों में संक्रमितों और लॉन्ग कोविड रोगियों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बड़ा चैलेंज है। लॉन्ग कोविड के रूप में ब्रेन फॉग से लेकर हृदय और फेफड़े की समस्या और बालों के झड़ने से लेकर महीनों तक स्वाद और गंध न आने जैसी दिक्कतें देखने को मिली हैं।
जारकारी बताती हैं कि लगभग सभी उम्र के लोगों में लॉन्ग कोविड का खतरा हो सकता है। कोरोना का संक्रमण पिछले दो साल से अधिक समय से पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। जिस तरह से सामने आ रहे नए वैरिएंट्स की संक्रामकता दर देखी जा रही है, वह निश्चित ही चिंता बढ़ाने वाली है।
वहीं एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानीको ने दावा किया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लॉन्ग कोविड सिंड्रोम का खतरा अधिक होता है, साथ ही उनमें लक्षणों के गंभीर रूप लेने की स्थीती भी बढ़ जाती है। जर्नल ऑफ विमेन हेल्थ में पीयर-रिव्यू शोध के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लॉन्ग कोविड के लक्षण होने का खतरा अधिक हो सकता है। संक्रमण से ठीक हो चुकी महिलाओं में थकान, सीने में दर्द, भोजन को निगलने में कठिनाई जैसी समस्याओं का जोखिम अधिक देखा गया है।
इस खोज में 2,300 से अधिक लोगों को शामिल किया गया, ये सभी संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती रह चुके थे। अध्ययन के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के जल्दी पूरी तरह ठीक होने की संभावना 33 फीसदी कम पाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि लॉन्ग कोविड के शिकार लोगों में सांस फूलना, थकान, मांसपेशियों में दर्द, नींद की समस्या, अंगों की कमजोरी और मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कतें अधिक देखने को मिलती हैं।
यह भी पढे़ं- महिला हेल्पलाइन की तारीख पर आए पति की पत्नी ने थाने के सामने की पिटाई
महिलाओं में यह लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं। संक्रमण से ठीक हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। महिलाओं में लॉन्ग कोविड का खतरा अधिक क्यों होता है, इसे समझने के लिए अध्ययन जारी हैं।
प्रिया चाँदना