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उत्तराखंड में लगातार झमाझम बारिशें, एक माह में 80 प्रतिशत से अधिक वर्षा…..उत्तराखंड में पारा तोड़ रिकॉर्ड

उत्तराखंड में मानसून सत्र की शुरुआत आज से हो चुकी है, वहीं ग्रीष्मकाल में भी उत्तराखंड में खासी वर्षा दर्ज करी गई। वहीं बागेश्वर में सर्वाधिक और ऊधमसिंह नगर में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार अब मानसून सीजन शुरू हो गया है और जून के मध्य तक मानसून आने की संभावना है जिससे वर्षा सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है।

उत्तराखंड में लगातार झमाझम बारिशें

      उत्तराखंड में इन दिनों मौसम में लगातार नमी बनी हुई है, इस पूरे ग्रीष्मकाल में उत्तराखंड में वर्षा के दौर होते रहे हैं। बीते मार्च से लेकर मई माह के मध्य तक वर्षा के दौर रुक-रुक कर हुए, लिहाजा उत्तराखंड में गर्मी से राहत रही और गर्मी का आभास भी सामान्य से कम रहा। जहां सामान्य तौर पर सर्वाधिक गर्म रहने वाले मई माह में भी उत्तराखंड में तापमान सामान्य ही बना रहा तो वहीं प्रदेश में सामान्य से 80 फीसदी अधिक बारिश भी दर्ज करी गई। इस पूरे ग्रीष्मकाल में 32 प्रतिशत अधिक मेघों ने उत्तराखंड को सींचित किया है। वहीं मौसम विभाग के अनुसार जून माह के मध्य तक ही दक्षिण-पश्चिमी मानसून अपनी दस्तक उत्तराखंड में देगा, चूंकि उत्तराखंड मे मानसून सत्र आज 1 जून से माना जाएगा। वहीं मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून सीजन में वर्षा सामान्य से अधिक होने की संभावना है, हालांकि उत्तराखंड के लिए मानसून खुशनुमा होने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं को दावत देने का एक मुख्य कारण भी है।        

पूरे माह में सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक वर्षा

        उत्तराखंड इस ग्रीष्मकाल में आमजन को भीषण गर्मी, तपिश का सामना बीते वर्ष की तुलना में कम करना पड़ा, जिसका एकमात्र कारण रहा उत्तराखंड में रुक-रुक कर होनें वाले बरसाती दौर। अब चुंकि मई महिने में प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी इलाकों तक झमाझम बारिश के दौर चलते रहे लिहाजा, आसमान में अपना डेरा जमाए बादलों की बदौलत आमजन को भीषण गर्मी से खासी राहत मिली और प्रदेश में तापमान समान्य से कुछ अधिक ही बढ़ा। वहीं मई महिने में उत्तराखंड के तमाम जिलों में सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई। इसी क्रम में हम आपको बताते चलें कि इस ग्रीष्मकाल उत्तराखंड में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला बागेश्वर तथा सबसे कम वर्षा वाला जिला उधमसिंह नगर रहा। राजधानी देहरादून में सामान्य से 123 प्रतिशत अधिक तो नैनीताल जिले में सामान्य से 47 प्रतिशत तक अधिक वर्षा दर्ज करी गई है। वहीं, पूरे ग्रीष्मकाल (एक मार्च से 31 मई) तक प्रदेश में सामान्य से 32 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। रुद्रप्रयाग में 335 मिमी वर्षा से कहीं-कहीं जनजीवन भी प्रभावित रहा। मौसम विभाग के अनुसार, अब आज से मानसून सत्र माना जाएगा, जो कि आगामी 30 सितंबर तक माना जाता है। जिसके बाद एक अक्टूबर से 28 फरवरी तक शीतकाल माना जाता है।    

उत्तराखंड में पारा तोड़ रिकॉर्ड

        उत्तराखंड में बीते वर्ष पारा तोड़ गर्मी पड़ी, जहां प्रदेश के मैदानी इलाके किसी गर्म तवे के समान तपने लगे। आसमान से बरसते लावा के कारण तापमान ने 43 डिग्री सेल्सियस के पार छलांग लगा डाली। आपको बतातें चलें कि साल 2012 के बाद मात्र साल 2024 ही रहा जिसमें राजधानी देहरादून में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज करी गई, वहीं बात तापमान की करी जाए तो मई माह के 10 दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। इसके उलट, बीते वर्ष मार्च महिने में उत्तराखंड में मात्र 29 प्रतिशत तक ही सामान्य से अधिक वर्षा हुई थी लेकिन, अप्रैल महिने में भी मात्र सामान्य से 46 प्रतिशत ही मेघ उत्तराखंड में बरसे थे। इसके बाद मई में भी सामान्य से 21 प्रतिशत कम वर्षा हुई। पिछले वर्ष ग्रीष्मकाल में एक मार्च से 31 मई तक प्रदेश में 128 मिमी वर्षा हुई है। जो कि सामान्य वर्षा 159 मिमी से 19 प्रतिशत कम है।            
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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