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सरोवर नगरी, हल्द्वानी व कैंची धाम पर शासन सजग, इन नगरों की सड़कों की भार वहन क्षमता का होगा सर्वे…. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

सरोवर नगरी नैनीताल, हल्द्वानी जैसे शहर उत्तराखंड पर्यटन और यातायात की दृष्टि से उत्तराखंड के लिए अहम हैं। ऐसी स्थिति में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इन शहरों में यातायात की सुगमता और पार्किंग की समस्या जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सुनवाई करते हुए हल्द्वानी नगर निगम और उत्तराखंड सरकार से उक्त मामले के निस्तारण की रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी। हाई कोर्ट ने नैनीताल शहर सहित अन्य जगहों की यातायात व पार्किंग समस्या को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।

सरोवर नगरी, हल्द्वानी व कैंची धाम पर शासन सजग

  सरोवर नगरी नैनीताल, हल्द्वानी जैसे शहर उत्तराखंड पर्यटन और यातायात की दृष्टि से उत्तराखंड के लिए अहम हैं। ऐसी स्थिति में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इन शहरों में यातायात की सुगमता और पार्किंग की समस्या जैसे ज्वलंत मुद्दे पर सुनवाई करते हुए हल्द्वानी नगर निगम और उत्तराखंड सरकार से उक्त मामले के निस्तारण की रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, बीते मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामलों में सुनवाई के बाद स्थानीय नागरिकों की ज्वलंत समस्या का समाधान करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए। हाई कोर्ट ने बीडी पांडे अस्पताल के समीप चौड़ी जगह में तीन मरीज वाहनों और एक एंबुलेंस पार्क करने की अनुमति दे दी है। वहीं पूर्व में पारित आदेश में संशोधन करते हुए हाईकोर्ट ने चिड़ियाघर शटल सेवा के लिए चार की जगह आठ इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की अनुमति दी है।    

इन नगरों की सड़कों की भार वहन क्षमता का होगा सर्वे

      उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी शहर में बिगड़ती यातायात की स्थिती और पार्किंग की समस्या पर सुनवाई करते हुए हल्द्वानी नगर निगम और उत्तराखंड सरकार से रिपोर्ट मांगी है। उक्त ज्वलंत मुद्दे को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नोएडा के सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) को उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर सड़कों का सर्वे करने को कहा। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सड़कों के सर्वे और भौगोलिक भार वहन क्षमता की जांच के निर्देश दिए हैं। हांलांकि अभी भी शहर के टैक्सी बाइक और लोकल टैक्सी वाहनों को कोई खासी राहत नहीं मिली है। तल्लीताल लेकब्रिज चुंगी में प्रश्न उठाया और कहा कि पर्ची के माध्यम से टैक्स वसूलने के बजाय नगर पालिका को फास्ट टैग से टैक्स वसूलना होगा। वहीं नगर पालिका को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्थानीय वाहन स्वामियों के लिए बाजार, अस्पताल, मंदिर आदि आवागमन की जगहों को एयर मार्क करने और पार्किंग की सुनिश्चित व्यवस्था करने को कहा गया है। जानकारी के अनुसार उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा रोड़ के सर्वे में हल्द्वानी, काठगोदाम, कालाढूंगी और भवाली तथा कैंची धाम से नैनीताल को आने वाले मार्ग शामिल हैं।  

हाई कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

  उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उक्त सड़कों के सर्वे कर उनकी रिपोर्ट को तीन माह में देने को कहा है। वहीं उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ)को क्षेत्र की भौगोलिक भार वहन क्षमता की जांच करने को कहा है। आपको बता दें कि हाईकोर्ट की ओर से आम टैक्सी बाइकों और आम टैक्सी वाहनों को फिलहाल किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इसके साथ ही साथ प्रत्येक घर को कूड़ा सेनीग्रेसन के लिए तीन-तीन डस्टबिन देने की भी बात करी है, वहीं मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं ने पक्ष रखते हुए कहा कि लेकब्रिज चुंगी में रात आठ बजे बाद बिना पर्ची कटे वाहनों को आने दिया जा रहा है। मंदिर जाने पर वाहनों से 25 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से शुल्क लिया जा रहा है। नारायणनगर क्षेत्रवासियों की तरफ से कहा गया कि नारायणनगर में छोटी गाड़ियों से कूड़ा बड़ी गाड़ियों में डालने से नारायण नगर, चारखेत, सरिताताल व खुर्पाताल क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। जिस पर कोर्ट ने शपथपत्र पेश करने को कहा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई को 19 मई की तिथि नियत की है।                
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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