उत्तराखंड महिला आयोग का नारी-2025 रिपोर्ट पर हमला
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर जारी वार्षिक नारी-2025 रिपोर्ट को लेकर पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें देहरादून को महिलाओं के लिए 10 सबसे असुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है। महिला आयोग की अध्यक्ष कु. कुसुम कंडवाल की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में कंपनी के प्रतिनिधि मयंक ढैय्या मौजूद रहे, लेकिन आयोग के सवालों का वह संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रहे। मयंक ने रिपोर्ट को केवल एकेडमिक रिसर्च बताया और कहा कि इसका उद्देश्य किसी शहर की छवि खराब करना नहीं था, लेकिन आयोग इसे मानने को तैयार नहीं था। अध्यक्ष कंडवाल ने बयान दिया कि कंपनी के प्रतिनिधि के पास बुनियादी जानकारी का अभाव दिखाई दिया। आयोग ने कहा कि यदि रिपोर्ट के आंकड़े ठोस आधारों पर नहीं हैं तो यह समाज और महिलाओं की सुरक्षा की वास्तविक स्थिति को गुमराह करने वाला है। ऐसे में आयोग ने सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ प्रबंध निदेशक और रिसर्च टीम की अगली सुनवाई में अनिवार्य उपस्थिति का आदेश दिया है। इस कदम से महिला सुरक्षा और रिपोर्ट की विश्वसनीयता दोनों पर बड़ा सवाल उठ रहा है और समाज में महिलाओं की स्थिति पर गंभीर बहस को जन्म मिला है।
15 सितंबर तक सभी दस्तावेज जमा करने का आदेश
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने पीवैल्यू एनालिटिक्स कंपनी को कड़ा निर्देश देते हुए कहा है कि आगामी 15 सितंबर 2025 को होने वाली सुनवाई में कंपनी के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य या सहायक अन्वेषक की उपस्थिति अनिवार्य होगी। आयोग ने कंपनी को आदेश दिया है कि वे अपनी रिसर्च और सर्वे से संबंधित सभी दस्तावेज, जिसमें सर्वे प्रश्नावली, अनुसंधान प्रक्रिया, तथा मीटिंग की मिनट्स रिपोर्ट शामिल हैं, एक सप्ताह के भीतर आयोग को सौंपें। यह कदम नारी-2025 रिपोर्ट के आधारों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और महिला सुरक्षा से जुड़े सवालों पर स्पष्टता लाने के लिए उठाया गया है। आयोग का यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर किसी प्रकार का संदेह ना रहे और संबंधित कंपनी पूरी तरह जवाबदेह हो। इस फरमान से पीवैल्यू कंपनी पर जवाबदेही का बड़ा दबाव बना है और आयोग महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अपनी भूमिका को मजबूती से निभाने के इरादे में दृढ़ दिख रहा है।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)
