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उत्तराखंड में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन का बुलडोजर एक्शन, पटवारी पर लगे कागाजात दुरुस्ती को लेकर रिश्वत मांगने के आरोप

उत्तराखंड में अवैध निर्माण को लेकर प्रशासन अपने कड़े रुख को अपनाए हुए है, दरअसल एक जनहित याचिका के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रशासन को अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के आदेश दिए। बीते सोमवार को भीमावाला स्थित शनिधाम के पास चिह्नित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। हांलांकि, ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के दौरान प्रशासन को स्थानिय ग्रामीणों के आक्रेशित विरोध का भी सामना करना पड़ा।

उत्तराखंड में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन का बुलडोजर एक्शन

    उत्तराखंड में अवैध निर्माण को लेकर प्रशासन अपने कड़े रुख को अपनाए हुए है, दरअसल एक जनहित याचिका के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रशासन को अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के आदेश दिए, लिहाजा इसके बाद से ही क्षेत्र में ढांग, नाले और खाले की जमीनों पर अतिक्रमण कर हुए अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी क्रम में बीते सोमवार को भीमावाला स्थित शनिधाम के पास चिह्नित अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई। प्रशासन द्वारा भीमावाला स्थित शनिधाम के पास 0.2500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ढांग श्रेणी की जमीन पर अवैध निर्माण चिह्नित किए गए थे, जिनमें ग्रामीणों की 15 गोशाला और रिहायशी मकान मौजूद थे। हांलांकि, ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के दौरान प्रशासन को स्थानिय ग्रामीणों के आक्रेशित विरोध का भी सामना करना पड़ा, ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई के लिए चिह्नित किए गए निर्माण अवैध नहीं हैं। जिस जमीन पर उन्होंने अपने मकान और गोशाला का निर्माण किया है वह जमीन उन्हें पट्टे के तहत आवंटित की गई थी। वहीं इस दौरान तहसीलदार विवेक राजौरी, कोतवाल विनोद गुसाईं आदि के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने कार्रवाई की, सोमवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच की गई कार्रवाई के दौरान अवैध चिह्नित दायरे में हुए निर्माण ध्वस्त कराए गए।      

पटवारी पर लगे कागाजात दुरुस्ती को लेकर रिश्वत मांगने के आरोप

        प्रशासन की इस कार्रवाई के दौरान स्थानीय महिलाओं ने भी खूब हंगामा काटा, विरोध प्रदर्शन करती एक आक्रोषित महिला ने प्रशासन के समक्ष पटवारी पर कागजातों को दुरुस्त करने के नाम पर रिश्वत लेने जैसे संगीन आरोप भी लगाए। महिला ने कहा कि जिस जमीन पर वे रह रहे हैं वह उन्हें परिवार नियोजन के तहत सरकार द्वारा आवंटित करी गई है और उसी आवंटित भूमि पर उनके मकान स्थित हैं। वहीं कार्रवाई के बीच कुछ आक्रोषित महिलाएं रोने भी लगीं, हांलांकि उन्होंने तहसीलदार को परिवार नियोजन के तहत मिले पट्टे के कागजात भी दिखाए। जिसके बाद तहसीलदार ने उन्हें समझाते हुए कहा कि प्रशासन यह कार्रवाई माननीय हाईकोर्ट के आदेशानुसार कर रहा है, परंतु ग्रामिणों ने उनकी एक न सुनी। इस पर पुलिस कर्मियों ने आक्रोशित महिलाओं को हटाया और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की। कार्रवाई के दौरान जनप्रतिनिधियों के प्रति भी ग्रामीणों में आक्रोश नजर आया।          
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)
 

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