उत्तराखंड में बेसिक शिक्षकों के समर्थन में धामी सरकार
उत्तराखंड की धामी सरकार ने प्रदेश के लगभग 12 हजार बेसिक शिक्षकों को बड़ी राहत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। 2011 से पहले भर्ती हुए शिक्षकों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद टीईटी अनिवार्यता का दबाव बढ़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को दिए फैसले में देशभर के 55 वर्ष तक के सभी बेसिक शिक्षकों को दो साल के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया है। इस फैसले से उत्तराखंड के हज़ारों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षक संघ के आग्रह पर धामी कैबिनेट ने मंगलवार को बैठक में तय किया कि राज्य सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी, ताकि शिक्षकों को राहत दी जा सके।
टीईटी अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार की मांग
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी उत्तीर्ण करने का दबाव बढ़ गया है, जिस पर उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की थी। संघ का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू होने के बाद 2011 से शिक्षक टीईटी अनिवार्यता के नियम के तहत नियुक्त हो रहे हैं, लेकिन उससे पहले नियुक्त शिक्षकों की भर्ती तत्कालीन नियमावली के अनुसार हुई थी। ऐसे में उन पर टीईटी लागू करना अन्यायपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से परेशान शिक्षकों ने राहत देने के लिए सरकार से पुनर्विचार याचिका दायर करने का आग्रह किया था। अब सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है, जिस पर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने प्रसन्नता जताते हुए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया है।
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)
