उत्तराखंड में स्मार्ट विद्युत मीटर बना आरोपों का केंद्र, सरकार इन इलाकों में नहीं लगाएगी स्मार्ट विद्युत मीटर

उत्तराखंड में प्रदेश सरकार ने जबसे स्मार्ट मीटर की योजना को धरातल पर सक्रिय करने का विचार प्रस्तुत किया है तब से लेकर अबतक विपक्ष ने सरकार का विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। बुधवार को सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस ने सदन में नियम 310 में स्मार्ट मीटर पर चर्चा करने की मांग की, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इसे नियम 58 की ग्राह्यता पर सुनने की व्यवस्था दी। सरकार के इस जवाब से नाराज विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन कर दिया। इससे पूर्व सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले कांग्रेस विधायकों ने प्रवेश द्वार के समक्ष धरना भी दिया। स्मार्ट मीटर पर विरोध प्रदर्शन करते हुए विपक्ष ने कहा कि प्रदेश भर में इसके विरोध में प्रदर्शन व घेराव हो रहे हैं, एक बार स्मार्ट मीटर लग जाए तो कंपनियां जनता पर मनचाहा दबाव बनाएंगी। विपक्ष ने कहा कि इसे रिचार्ज न करने पर बिजली स्वत: ही कट जाएगी,जहां नेटवर्क नहीं होगा, वहां लोग इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे और सबसे बड़ी बात जहां पहले स्मार्ट मीटर लगे हैं, वहां इनमें काफी खामियां आ रही हैं इसलिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार इसका पुरजोर विरोध करती है।

 

 

 

 

13 महीनों का भुगतान

 

 

 

प्रदेश सरकार की इस योजना पर विधायक तिलकराज बेहड़ ने कहा कि सरकार ने गढ़वाल व कुमाऊं में अलग-अलग कंपनियों को 2027 करोड़ की लागत से इन मीटर को लगाने का ठेका दिया है, तिलकराज बेहड़ ने बताया कि गढ़वाल में यह ठेका जिस कंपनी को दिया गया है उसका नाम जेनेसिस है और उस पर ED का छापा भी पड़ चुका है जिस कारण उसके दो अधिकारी जेल में हैं। उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि इस मीटर का बिल 28 दिन में आएगा, यानी आमजन को 12 माह के स्थान पर 13 माह का बिल भुगतान करना होगा।

सरकार इन इलाकों में नहीं लगाएगी स्मार्ट विद्युत मीटर

 

 

 

उत्तराखंड में प्रदेश सरकार ने स्मार्ट विद्युत मीटर की योजना पर बयान देते हुए कहा कि प्रदेश में स्मार्ट मीटर पर्वतीय क्षेत्रों व ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में अभी नहीं लगाए जाएंगे, जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं हैं। वहीं प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदम में विपक्ष के सम्मुख स्पष्ट किया कि देशव्यापी योजना के तहत स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया जा रहा है और इससे रियल टाइम में बिजली की खपत का पता चल सकेगा। जो व्यक्ति बिजली का जितना इस्तेमाल करेगा, उसे उतना ही बिल भरना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह मीटर प्रीपेड नहीं, बल्कि पोस्ट पेड मोड पर ही लगाए जा रहे हैं। विपक्ष के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि मीटर लगाने से चोरी रुकेगी। इसकी आनलाइन रीडिंग आने से बिलिंग की समस्या समाप्त होगी और साथ ही कंपनी चयन का कार्य पूरी पारदर्शिता से किया गया है। सरकार जो भी कार्य कर रही है उस पर सोच विचार करने के बाद ही काम कर रही है।

 

 

लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

 

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