धामी सरकार का एक्शन मोड, कम समयावधि में होंगी मंत्रिमंडल की बैठकें….तेजी से होगा प्रस्तावों पर कार्य

धामी सरकार का एक्शन मोड

 

 

 

धामी सरकार उत्तराखंड में अपने तीन साल पूर्ण कर चुकी है, जाहिर है धामी सरकार अपने कार्यों का बखान तब ही करने में सक्षम होगी जब वह तेजी से उत्तराखंड में औद्योगिक, आर्थिक, सामाजिक विकास के लक्ष्यों को पूरा करेगी। इसी क्रम में उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक बहुत अहम फैसला लिया है, दरअसल, धामी सरकार ने अब मंत्रिमंडल की बैठकों को कम अंतराल में करने का फैसला लिया है। इसका अहम उद्देश्य एक यह भी है कि धामी सरकार उत्तराखंड में उन सभी प्रस्तावों पर पर तेजी से काम करना चाहती है, जो अवस्थापना कार्यों, औद्योगिक निवेश, खेती-बागवानी और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़े हैं। चूंकि लंबे अंतराल में हो रही कैबिनेट बैठकों के कारण इनमें से कई प्रस्तावों पर निर्णय लेने में कठिनाईयां हो रही हैं लिहाजा, धामी सरकार ने अब कम अंतराल में प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठकें करने का फैसला लिया है।

 

कम समयावधि में होंगी मंत्रिमंडल की बैठकें

 

 

 

धामी सरकार उत्तराखंड के चहुमुखी विकास के लिए निरंतर कार्यरत है यह बात अक्सर आपने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुंह से सुनी होगी, हालांकि, इस बात में कोई दोराय नहीं है कि उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार राज्य के चहुमुखी विकास और सामाजिक उत्थान के लिए लगातार कार्य किए जा रही है। इसी क्रम में कैबिनेट बैठक का लंबे समयान्तराल में होना धामी सरकार को भी उनके निर्धारित लक्ष्य से पीछे की ओर धकेल रहा है लिहाजा, इसी व्यावहारिक समस्या का हल निकालते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रिपरिषद शैलेश बगौली को प्रस्तावों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कैबिनेट की बैठकों को एक निश्चित समयावधि में कराने के निर्देश दिए हैं। नतीजतन, इस बार की कैबिनेट बैठक आगामी 28 मई को बुलाई गई है, इस बात की पुष्टि स्वयं सचिव बगौली ने की है। सचिव बगौली ने माना है कि प्रस्तावों की संख्या ज्यादा होनें के कारण अब कम अंतराल में कैबिनेट की बैठकें आयोजित होंगी। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि कुछ विभागों के प्रस्ताव कैबिनेट के लिए भेजे गए हैं परंतु, पहले से कई प्रस्तावों के विचाराधीन होनें के कारण उन पर चर्चा नहीं हो पा रही है।

 

 

तेजी से होगा प्रस्तावों पर कार्य

 

 

 

सचिव बगौली ने बताया कि बैठक में इसी कारण अधिक संख्या में प्रस्ताव आ रहे हैं। उनका कहना है कि कैबिनेट मतंरी भी यही चाहते हैं कि उनके पास बैठक में जो प्रस्ताव आते हैं उनपर गहन चर्चा कि जाए जिसके लिए उनको पर्याप्त समय चाहिए। परंतु अधिक संख्या में प्रस्तावों के आने से सभी प्रस्तावों पर गहनता से चर्चा कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है चूंकि समय इस कार्य में मुख्य बाधा बन रहा है। वहीं माना यह भी जा रहा है कि अब कम अंतराल में कैबिनेट की बैछकों होंगी तो उनमें प्रस्तावों की संख्या भी सीमित रहेगी, लिहाजा इसका यह फायदा होगा कि कम प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए उपयुक्त समय मिलेगा। इस प्रकार प्रस्तावों पर तेजी से चर्चा करी जाएगी ताकि उक्त प्रस्तावों पर तेजी से विकास कार्य किया जा सके।

 

 

 

 

 

लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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