ना मिली एंबुलेंस तो टैक्सी की छत पर ले गई भाई का शव, भाई की मौत से छलक पड़े बहन के आँसू
उत्तराखंड से एक ऐसी मृत्यु की घटना सामने आई है जो आपकी भी आँखें नम कर देगी,जहां अपने मृत भाई के शव को घर ले जाने के लिए बहन को ऐंबुलेंस का सहारा ना मिला तो उसने अपने गांव के बोलेरो चालक को बुलवाया और बोलेरो की छत पर भाई का शव बांध कर अपने गांव ले गई। यह घटना पर्वतीय क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव के साथ-साथ प्रशासन की नाकामयाबी को भी पारदर्शीत करती है।
इंसान की तंग आर्थिक स्थिती हमेशा उसे कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देती है जो आम लोग करने से कतराते हैं। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दुखों के सिवा आजतक कुछ भी प्राप्त नंही हुआ, हमेशा उनकी मुश्किल की घड़ियों में प्रशासन नाकाम और सुप्त ही नजर आया है। हद तो तब हो गई जब पिथौरागढ़ के निवासी 20 वर्षिय अभिषेक की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो जाती है और जब अभिषेक की बहन शिवानी अपने भाई के शव को पिथौरागढ़ ले जाने के लिए ऐंबुलेंस से मदद मांगती है तो ऐंबुलेंस ड्राइवर शिवानी से 10 से 12 हजार की मांग करते हैं। बेचारी बहन ने अपने गांव के परिचित बोलेरो चालक को बुलवाया और फिर अपने मृत भाई के शव को बोलेरो की छत पर बांधकर उसे अपने गांव लेकर जाना पड़ा।
साथ काम किया करते थे भाई-बहन
शिवानी तमोली ग्वीर के बेरीनाग (पिथौरागढ़) की रहने वाली थी जो कि हल्द्वानी की एक निजी कंपनी में तकरीबन 6 महीनों से काम कर रही थी। चूंकि शिवानी के माता-पिता बुजुर्ग हैं और वे पहाड़ में रहकर खेतीबाड़ी का काम करते हैं तो उनकी आर्थिक स्थिति भी कुछ खास प्रबल नहीं थी लिहाजा दो महीने पहले शिवानी ने अपने 20 वर्षिय भाई अभिषेक को भी अपने साथ कान करने के लिए बुला लिया। शिवानी ने बताया कि बीते शुक्रवार की सुबह दोनों भाई बहन एकसाथ काम पर निकले थे, करीबन एक घंटा काम करने के बाद अभिषेक ने सर दर्द बताकर कंपनी से छुट्टी ली और घर आ गया, इसके बाद भी शिवानी ने अपने भाई को काफी फोन किए लेकिन अभिषेक ने फोन कॉल नहीं उठाई। दोपहर लंच टाइम पर चिंतावश शिवानी जब घर गई तो घर में दवाईयों की बदबू चल रही थी और उसने अभिषेक को भी घर में नंही पाया और लगभग 2:30 बजे शिवानी के फोन पर पुलिस का फोन आता है कि उसका भाई रेलवे ट्रैक पर बेसुध पड़ा है। शिवानी ने पुलिस की मदद से अभिषेक को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किया गया जहां डॉक्टरों ने अभिषेक को मृत घोषित कर दिया जिसके बाद पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया। वहीं सूचना मिलते ही शिवानी के परिजन भी बेरीनाग पंहुच गए।
बुझ गया घर का इकलौता चिराग
अभिषेक अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था, जिसकी मौत से घर का इकलौत चिराग भी बुझ गया है। अभिषेक के माता पिता दोनों वृद्ध हैं जिस कारण उन्हें पुत्र की अकस्मात मृत्यु के बारे में जानकारी नहीं दी गई, वहीं परिजनों और अभिषेक की बहन शिवानी का रो रो कर गला सूख चुका है।
मजबूरी में काम ना आ सकी ऐंबुलेंस सेवा
भाई की अकस्मात मृत्यु होनें से शिवानी पहले ही गहरा धक्का लग चुका था ऊपर से शिवानी के पास अधिक पैसे भी नहीं थे लेकिन जब शिवानी अपने भाई के शव को ऐंबुलेंस में रखकर अपने गांव ले जाने के लिए ऐंबुलेंस ड्राइवरों के पास पंहुची तो उन्होने 10 से 12 हजार रुपयों की मांग करी और कोई भी ऐंबुलेंस चालक शिवानी की मदद के लिए आगे नहीं आया जिसपर शिवानी का दुख छलक पड़ा वह कभी ऐंबुलेंस ड्राइवरों के सामने हाथ जोड़ती तो कभी गिड़गिड़ाकर मिन्नतें करती लेकिन उसकी मजबूरी पर किसी को जरा भी तरस नहीं आया।
जिसके बाद शिवानी ने अपने गांव के एक पहचान के बोलेरो चालक से संपर्क किया जो शिवानी कि मदद के लिए मौके पर पंहुच गया और बेचारी लाचार बहन को अपने भाई के शव को बोलेरो की छत पर बांधकर अपने गांव ले जाना पड़ा। जाते जाते शिवानी ने प्रशासन को काफी कोसा जो विपत्ति के समय लाचार बहन के काम ना आ सका।