उत्तराखंड में शीतकाल का आगाज हो चुका है और शीतकाल में उत्तराखंड के प्रमुख धामों के कपाट बंद हो जाते हैं। चूंकि यह समय शीतकाल में धामों के कपाट बंद होने का है तो एसे में गंगोत्री समेत बाबा केदार के कपाट भी शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं।
रविवार 3 नवंबर को भैया दूज के मौके पर प्रात: बाबा केदार की विधिवत समाधि पूजा-अर्चना करी गई जिसके उपरांत सुबह 6 बजे बाबा केदार के गर्भ गृह के दरवाजों को बंद कर दिया गया। इस प्रकार 8:30 बजे मंदिर के मुख्य द्वारों को भी बंद कर दिया गया और शीतकाल के लिए बाबा केदार के कपाट आज पूर्णत बंद हो गए।
भक्तो संग रवाना हुई बाबा केदार की डोली
शीतकाल के लिए बाबा केदार के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की चल विग्रह डोली को भी रवाना कर दिया गया। आपको बता दें कि इस मौके बाबा केदार के दर पर भारी संख्या में भक्तो की एक बड़ी भीड़ मौजूद रही, जिनके द्वारा लगाए गए जयकारों के बीच बाबा केदार की चल विग्रह डोली को केदार धाम से ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना कर दिया गया है।
बता दें की यह चल विग्रह डोली तीन दिवसीय यात्रा को पूर्ण करनें के उपरांत अपनें अंतिम पड़ाव ओंकारेश्वर मंदिर पंहुचेगी। आज चल विग्रह डोली की यात्रा का प्रथम दिन है जिसमें डोली पहले पहले पड़ाव रामपुर पंहुचेगी, उसके बाद कल 4 नवंबर को डोली अपने द्वितिय पड़ाव गुप्तकाशी पंहुचेगी और 5 नवंबर को डोली अपनें अंतिम गंतव्य ऊखीमठ पहुंचेगी जंहा ओंकारेश्वर मंदिर बाबा केदार की चल विग्रह डोली का शीतकालिन आवास है।
17 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
बाबा केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं,लेकिन बदरीनाथ धाम के कपाटों को बंद होने में अभी समय है क्योंकि श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन करना चाहते हैं लिहाजा बदरीनाथ धाम में रोजाना हजारों की भीड़ में भक्तजन दर्शन करनें पंहुच रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवम्बर की रात्रि को 9 बजकर 7 मिनट पर बंद किए जाएंगे।