राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की अदालत में प्रदेश के कुछ निजी संस्थानों में करवाई जा रही नर्सरी टीचर ट्रेनिंग के मामले को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। आयोग की ओर से फैसला सुरक्षित रखा गया है।
मंगलवार को विनियामक आयोग की अदालत में प्रारंभिक शिक्षा विभाग और एनसीएफएसई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के निदेशक ने अपना पक्ष रखा। कुछ निजी संस्थानों पर हिमाचल प्रदेश में बिना पंजीकरण करवाए एनटीटी करवाने का आरोप है।
आरोप है कि निजी शिक्षण संस्थानों के साथ कुछ कंपनियों के एमओयू को लेकर हिमाचल सरकार को जानकारी नहीं दी गई। संबंधित विभागों को इस बाबत अवगत नहीं कराया गया। फीस स्ट्रक्चर की जानकारी भी शिक्षा विभाग को नहीं दी गई। राज्य शिक्षक अवार्ड के मामले में अदालत को बताया गया कि इस बारे में सिर्फ सरकार निर्णय लेती है। शिक्षकों को आवेदन करने की जरूरत नहीं है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत में यह जानकारी दी है।
मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को निर्धारित की गई है। राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब में शिक्षा निदेशक ने बताया कि विशेष अवार्ड देने के लिए सरकार ने राज्यस्तरीय कमेटी का गठन किया है। शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी शिक्षक की अनुशंसा नहीं की जाती है। याचिकाकर्ता का आवेदन उप निदेशक ने यह कहकर लौटाया था कि राज्य शिक्षक अवार्ड सरकार अपने स्तर पर देती है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत भर्ती मामले में रजिस्ट्रार को तलब किया गया था। मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया था कि सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत सैकड़ों नियुक्तियां की गईं।हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय के 130 आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण पर पहले ही रोक लगाई है। इनकी भर्ती नियमों के विपरीत किए जाने का आरोप लगाया है। खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि ऐसे कर्मचारियों को नियमित न किया जाए, जिन्हें भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर नियुक्त किया गया है।