हिमाचल प्रदेश में दवाइयों के बाद अब इसके कच्चे माल पर भी क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। लगातार दवाओं के सैंपल फेल होने, कच्चे माल की कालाबाजारी और नकली दवाओं के निर्माण के चलते ऐसा किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में तैयार होने वाले कच्चे माल की निगरानी के लिए दवाओं के कच्चे माल पर बारकोड अनिवार्य कर दिया है। बारकोडिंग नियम लागू होने के बाद अब नकली दवाओं की बिक्री पर भी काफी कमी आएगी। हिमाचल प्रदेश में 550 फार्मा कंपनियां हैं।
बता दें कि प्रदेश में प्रति वर्ष 25 से 30 हजार करोड़ का दवा उत्पादन होता है। दवा निर्माता कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर हैं।इसे देखते हुए अब कच्चे माल पर भी बारकोड लगा दिया है। भारत उद्योग संघ के हिमाचल के प्रभारी चिरंजीव ठाकुर व एचडीएमए के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने सरकार और विभाग के इस प्रयास की सराहना की है। और कहा कि इससे कच्चे माल में होने वाली मिलावट से राहत मिलेगी और माल सही मिलने से दवा के निर्माण में भी गुणवत्ता बढ़ेगी।