देहरादून में हुई रिलायंस ज्वैलरी लूट मामले से जुड़ी अपडेट, 2 संदिग्ध गिरफ्तार, OLX में फर्जी ID से खरीदते थे वाहन
खुलासा : देहरादून रिलायंस ज्वैलरी शो रूम डकैती में बिहार से दो गिरफ्तार, OLX में फर्जी ID से खरीदते थे वाहन
देहरादून: रिलायंस ज्वैलरी शो रूम डकैती से संबंधित गैंग के बिहार स्थित (Hideout कंट्रोल हाउस) पर दून पुलिस ने रेड की है। रेड के दौरान डकैती में शामिल आरोपियों के बारे में महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। गैंग के सदस्य ओएलएक्स से ज्यादातर घटना करने के लिए गाड़ियां खरीदते हैं। साथ ही गैंग के सदस्य ज्यादातर घटनाओं में पोर्टेबल सिग्नल जैमर का इस्तेमाल करते हैं।
देहरादून डकैती मामले में दो अरेस्ट : दून पुलिस द्वारा डकैती में शामिल आरोपियों को फंडिंग करने वाले संदिग्ध शातिर और षड्यंत्र में शामिल सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। अन्य आरोपियों सहित कई संदिग्ध दून पुलिस के रडार पर हैं। बिहार में दून पुलिस की पूछताछ जारी है। अलग अलग टीमों की मध्य प्रदेश और बिहार में ताबड़तोड़ दबिश भी जारी है।
9 नवंबर 2023 को देहरादून के रिलायंस ज्वैलरी शोरूम में डकैती हुई थी। अब तक की जांच में पुलिस को इस डकैती से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। कटनी, लातूर और सांगली में भी हुई इसी प्रकार की घटनाओं की जानकारी के लिए गई टीमों द्वारा घटनाओं की जानकारी में पाया कि गैंग द्वारा बेहद शातिराना तरीके से घटनाओं का अंजाम दिया जाता था।
उनके द्वारा घटना करने के दौरान पोर्टेबल सिग्नल जैमर का इस्तेमाल किया जाता था। जिससे मौके पर कोई सेंसर ट्रिगर ना हो पाए और ना ही कोई फोन कॉल हो पाए। कटनी (मध्य प्रदेश) और सांगली (वेस्ट बंगाल) की घटनाओं में भी आरोपियों द्वारा पोर्टेबल सिग्नल जैमर का इस्तेमाल किया जाना सामने में आया है।
पुलिस के मुताबिक आरोपियों द्वारा डकैती डालने के लिए या तो चोरी की गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था, या फर्जी आईडी पर ओएलएक्स से गाड़ियां खरीदते थे। फिर उन गाड़ियों से घटनाओं को अंजाम दिया जाता था. देहरादून में हुई डकैती की घटना में आरोपियों द्वारा चोरी के वाहनों का इस्तेमाल किया गया था।
लातूर और कटनी में आरोपियों ने ओएलएक्स के माध्यम से फर्जी आईडी पर गाड़ियां खरीदी थी। डकैती की घटनाओं के दौरान आपस में संपर्क करने के लिए आरोपियों द्वारा पश्चिम बंगाल और बिहार की फर्जी आईडी पर सिम खरीदे जाते थे। इन सिम को डकैती को अंजाम देने के बाद नष्ट कर दिया जाता था।
बिहार के वैशाली में दून पुलिस को आरोपियों के के बारे में जानकारी मिली थी। इसे गैंग द्वारा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। देहरादून में हुई डकैती की घटना के शामिल डकैतों द्वारा भी यहीं से कंट्रोल किया जा रहा था। डकैती की घटना को अंजाम देने से पहले डकैत एक स्थान पर इकट्ठा होते थे।
वहीं से अपने टास्क के लिए रवाना होते थे. टास्क पूरा करने के बाद आरोपी दोबारा उसी पूर्व निर्धारित कंट्रोल हाइड आउट हाउस में ही मिलते थे। उसके बाद आगे की रणनीति तय करते थे।
पुलिस द्वारा बिहार के वैशाली में हाइड आउट हाउस में दबिश देकर देहरादून की घटना में शामिल आरोपियों के महत्वपूर्ण सबूत बरामद किये गये हैं। इसी सीक्रेट हाइड आउट हाउस में टास्क देने के साथ-साथ गैंग के सदस्यों को हथियार, पैसे और गाड़ियों की जानकारी, सिमकार्ड और मोबाइल, कपड़े सभी सामान उपलब्ध कराये जाते थे।
किसी घटना के समय आरोपियों को की जाने वाली फंडिंग के संबंध में भी पुलिस टीम को काफी महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। जिससे यह जानकारी मिली है कि गैंग के सरगना द्वारा जेल के अंदर से ही आरोपियों को घटना के दौरान पैसे ट्रांसफर करवाए जाते थे।
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि देहरादून की डकैती से पहले भी घटना में शामिल आरोपियों के खातों %A