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बड़ी ख़बर : PCCF की कुर्सी को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम की रोक, विनोद सिंघल रहेंगे हॉफ

बड़ी ख़बर : PCCF की कुर्सी को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम की रोक, विनोद सिंघल रहेंगे हॉफ

PCCF की कुर्सी को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम की रोक, विनोद सिंघल रहेंगे हॉफ पीसीसीएफ की कुर्सी को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम रोक, विनोद सिंघल ही रहेंगे हॉफ बताते चलें कि एक चार अप्रैल को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ राजीव भरतरी के पक्ष में फैसला देते हुए अगले ही दिन उन्होंने हॉफ का चार्ज संभालने के आदेश दिए थे। उत्तराखंड वन विभाग में हाईकोर्ट के आदेश पर पीसीसीएफ की कुर्सी से हटे विनोद कुमार सिंघल को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। अब सिंघल की एक बार फिर हॉफ की कुर्सी पर ताजपोशी तय मानी जा रही है। कोर्ट के फैसले से पीसीसीएफ राजीव भरतरी को झटका लगा है। अभी इस मामले में शासन का रुख स्पष्ट होना बाकी है। एक सप्ताह पूर्व जब हाईकोर्ट का फैसला पीसीसीएफ राजीव भरतरी के पक्ष में आया था, तब भी शासन का रुख स्पष्ट होने के बाद ही भरतरी हॉफ की कुर्सी पर बैठ पाए थे। बताते चलें कि एक चार अप्रैल को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ राजीव भरतरी के पक्ष में फैसला देते हुए अगले ही दिन उन्होंने हॉफ का चार्ज संभालने के आदेश दिए थे। अगले दिन पांच अप्रैल का सरकारी अवकाश होने के बावजूद भरतरी ने चार्ज संभाला था। इसके बाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सोमवार को कोर्ट ने उन्हें स्टे दे दिया। उधर, सचिव (वन) विजय यादव ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी नहीं हैं। आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। क्या है पूरा मामला उत्तराखंड सरकार ने 25 नवंबर 2021 को दो विभागों के अध्यक्षों का फेरबदल किया था। सरकार ने आईएफएस राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर स्थानांतरण किया। उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया गया था। तब से दोनों वन अधिकारियों के बीच हाॅफ की कुर्सी को लेकर लड़ाई जारी है। सोमवार को हाईकोर्ट में फिर होगी सुनवाई राजीव भरतरी की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को अपना अंतरिम फैसला सुनाया था। अगले सोमवार 27 अप्रैल को इस मामले में फिर से सुनवाई होनी है। वहीं, दूसरी ओर से राजीव भरतरी की ओर से कैट में फिर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। इस पर भी 27 अप्रैल को ही सुनवाई होनी है।

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