हाल ही में भारत में क्रिपटोकरंसी में निवेश अधिक बढ़ गया है। यह देश की चिंता का कारण भी बन गया है इसी बीच भारत सरकार निजी क्रिपटोकरंसी निवेशकों को एक झटका देने वाली है। बता दें की सरकार निजी क्रिपटोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल पेश करने जा रही है, उनका कहना है कि केंद्रीय रिजर्व बैंक के समर्थन वाली डिजिटल करंसी के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे।
जानकारी के अनुसार मंगलवार को लोकसभा ने इस बिल को लाने का बयान जारी किया था। इस बिल में सभी निजी डिजिटल मुद्रा पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। पिछले हफ्ते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने बिटकॉइन से युवाओं को खतरा होने की बात कहते हुए कहा कि यह अगर गलत हाथों में पड़ गया तो हमारे युवा बर्बाद हो सकते हैं। भारत से पहले चीन ने भी डिजिटल करंसी के लेने देन को गैरकनूनी करार कर दिया था।
नोट बंदी के बाद बड़ी अर्थव्यवस्था
नोट बंदी के बाद डिजिटल मुद्रा पर रोक दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस प्रकार की मुद्रा में लेनदेन में धोखधड़ी के मामलों में बढ़ोतरी के चलते 2016 में रिर्जव बैंक ने इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस रोक को हटा दिया था। जिसके बाद करंसी में निवेशकों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है, चेनालिसिस नामक संस्था के अनुसार बीते एक साल में इसमें निवेश 600 प्रतिशत बढ़ा है।
क्रिपटोकरंसी विज्ञापनों में हुआ इजाफा
इस मुद्र के विज्ञापनों में भी इजाफा हो रहा है, कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् जैसी आदि प्राइवेट डिजिटल करंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों तथा सोशल मीडिया माध्यमों पर विज्ञापन दे रहे थे। टैम स्पोर्टस ने अनुमान लगाया है कि इन कंपनियों ने हाल ही में टी20 वर्ल्ड कप के मौके पर विज्ञापनों पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए।
रिजर्व बैंक ला सकता है डिजिटल मुद्रा
भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, अनुमान के अनुसार यहां ऑनलाइन मुद्रा धारक डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकते हैं। साथ ही इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है। सरकार के इस आदेश ने सभी के निवेशों को खतरे में डाल दिया है। बीती जून में भी भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह अपनी ऑनलाइन मुद्रा लाने की योजना पर कार्य कर रहा है और यह इस साल पेश किया जा सकता है। बिटकॉइन, ईथीरियम और अन्य निजी मुद्राओं को लेकर बैंक ने चिंता जताई थी।
अंजली सजवाण