होमउत्तराखंड

 दो साल बाद आदि कैलास यात्रा पर जायेंगे श्रद्धालु

रोमांच के साथ धार्मिक महत्व की है यात्रा

कोरोना की वजह से पिछले दो साल से बंद चल रही आदि कैलास यात्रा इस साल शुरु हो गई है। इस यात्रा का मार्ग कैलास मानसरोवर यात्रा का ही मार्ग है। अभी तक 700 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। पहला दल 31 मई को रवाना होगा। पहले इस यात्रा के लिए सड़क ना होने के कारण आवागमन में करीब 200 किलोमीटर पैदल चलना होता था। हालांकि नाबीढांग और जोलीकांग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। जिससे यात्रियों को करीब सौ किमी से अधिक पैदल नहीं चलना होगा। केएमवीएन के जीएम एपी बाजपेयी ने बताया कि पहले दल में 15 महिलाओं समेत 30 यात्री हैं। इसके अलावा निगम के गाइड शामिल हैं। जून माह तक के पंजीकरण फुल हो चुके हैं। पहला दल भीमताल टीआरसी से धारचूला के लिए रवाना होगा।

नैनीताल। स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलास व ओम पर्वत की यात्रा को कैलास मानसरोवर यात्रा जितनी ही प्रमुखता दी गई है। पिथौरागढ़ जिले में भारत तिब्बत सीमा के पास आदि कैलास स्थित है। यह कैलास पर्वत की छवि है। मान्यता है कि आदि कैलास पर भी समय-समय पर भोले बाबा का निवास रहा है। पास ही स्थित पार्वती सरोवर में माता पार्वती का स्नान स्थल हुआ करता था। ओम पर्वत तीन देशों की सीमाओं से लगा हुआ। इस स्थान के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन महाभारत, रामायण एवं वृहत पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है।

यह भी पढे़ं-पहली बार कोई CM पहुंचा थपलियालखेड़ा

यात्रा में इन धार्मिक पड़ावों से गुजरेंगे श्रद्धालु

नैनीताल। काठगोदाम, भीमताल से काठगोदाम तक आठ दिनों में होने वाली यह यात्रा नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम, चितई गोलू मंदिर, जागेश्वर धाम, पार्वती मुकुट, ब्रह्मा पर्वत, शेषनाग पर्वत, शिव मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरीकुंड, पाताल भुवनेश्वर, महाभारत काल के बहुत से स्थानों जैसे पांडव किला, कुंती पर्वत, पांडव पर्वत एवं वेदव्यास गुफा से होकर गुजरेगी। कहा जाता है कि कैलास मानसरोवर की यात्रा से पहले आदि कैलास की यात्रा कर लेनी चाहिये। इससे शरीर को कैलास मानसरोवर यात्रा के लिये शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार करने में मदद मिलती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button