उत्तराखंड में हरीश रावत जब पहली दफा मुख्यमंत्री बने थे तो वह केंद्र से एक अधिकारी को अपने साथ लेकर आए थे. अधिकारी का नाम था मोहम्मद शाहिद. लेकिन हरीश रावत और मोहम्मद शाहिद का साथ ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाया था. क्योंकि FL2 घोटाले में मोहम्मद शाहिद कास्टिंग हुए और उन्हें वापस दिल्ली भेजना पड़ा. उस समय माना जाता था कि हरीश रावत और उस वक्त के टॉप ब्यूरोक्रेट्स राकेश शर्मा में बनती नहीं थी. लेकिन बाद में परिस्थितियां बदली और IAS अधिकारी राकेश शर्मा के साथ हरीश रावत की नजदीकियां बढ़ने लगीं.
हरीश रावत की गुड बुक: हरीश रावत की ब्यूरोक्रेट्स को लेकर गुड बुक की बात करें तो हरीश रावत के कार्यकाल में कई ऐसे आईएएस अधिकारी थे जिनसे हरीश रावत की ट्यूनिंग बेहद अच्छी थी. लेकिन आज की तारीख में उनमें से कई अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं, जिनमें से सबसे पहला नाम है डीएस गर्ब्याल का है. इसके अलावा भी कई ऐसे अधिकारी हैं. वहीं, प्रशासनिक तंत्र में जो अधिकारी अभी भी मौजूद हैं, उनमें से अगर हरीश रावत की गुड बुक में आने वाले अधिकारियों की बात करें तो अरविंद सिंह ह्यांकी और रविशंकर के अलावा आर मीनाक्षी सुंदरम को हरीश रावत की सरकार के लिए सबसे अहम माना जाता है.
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त्रिवेंद्र के करीबियों की लग सकती है लॉटरीः इसके अलावा बताया जाता है कि ब्यूरोक्रेसी को लेकर आखिरी जो सबसे बड़ा अनुभव है, वह त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास है. हरीश रावत की त्रिवेंद्र सिंह रावत से भले ही राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है, लेकिन कुछ मामलों में समानता भी है. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी अधिकारियों की भी लॉटरी लग सकती है. इनमें मनीषा पंवार, दिलीप जावलकर, आनंद वर्धन जैसे अधिकारी हरीश रावत की गुड बुक में हो सकते हैं.