तूफान ने उड़ाई विद्यालय की छत मासूम बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर है आपको बता दे रामनगर के मालधन क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था खस्ता हाल हो चुकी हैं। शिक्षा विभाग की लापरवाही से बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है। बीती शाम आये तूफान ने शिक्षा विभाग की खस्ता हाल कार्यशैली की पोल खोल कर रख दी हैं।
रामनगर के मालधन क्षेत्र में राजकीय प्रथमिक विद्यालय कुमुगडार सेकेंड सन 2013 से आज दिनांक तक एक टीन सेट के मिट्टी से बने कमरे में संचालित है। अपने मासूम बच्चों के भविष्य को सबारने के लिए माता पिता जिस विद्यालय की आस लगा कर बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते है। उस विद्यालय को बने नो साल हो गए है। लेकिन आज तक ना तो बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था हुई हैं। ना बच्चों के लिए पीने का पानी हैं ओर न ही शौचालय की कोई व्यवस्था शिक्षा विभाग ओर शासन करवा पाया हैं।
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जिस वक्त तेज तूफान के आने से विद्यालय की टीन उड़ी गनीमत रही कि उस वक्त विद्यालय की छूट्टी हो चुकी थीं नही तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी। नो साल से संचालित विद्यालय अगर आज भी वैकल्पिक व्यवस्थाओ के सहारे चल रहे हैं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था केसी हैं। मालधन के क्षेत्र में अनगिनत विद्यालयो की हालत ऐसी ही हैं। अब खण्ड शिक्षा अधिकारी रामनगर इन विद्यालयो की ऐसी दुर्दशा को वन विभाग भूमि में होने को ठेराह रही हैं। जबकि पूर्व से अनगिनत विद्यालय वन विभाग की भूमि पर बने हुए है।