मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के आवास के अधिक्रण मामले में लिया अहम फैसला। दिवांगत सीएम जयललिता के आवास वेद निलयम जो पोएस गार्डन इलाके में स्थित है उसे अन्नाद्रमुक सरकार ने जयलालिता का स्मारक बनाने के आदेश दिए थे।
उनके इस आदेश को मद्रास हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि, मरीना बीच पर पहले से ही एक स्मारक बना है तो दूसरे की क्या आवश्यकता है। इस अधिक्रण के मामले के बारे में जयललिता के कानूनी वारिस जे दीपा और जे दीपक ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने उनकी याचिका दर्ज करते हुए न्यायमूर्ति एन शेषशायी ने राज्य को तीन सप्ताह में संपत्ति उन्हें सौंपने का निर्देश दिया था।
बता दें की यह बिल सितंबर 2020 में तमिलनाडु विधानसभा में पास किया गया था। यह फैसला जयललिता की करीबी सहयोगी वी के शशिकला के बैंगलोर जेल से रिहा होने से पहले ही अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिया गया था। सरकार ने यह निजी संपत्ति को शशिकला के हाथों में जाने से रोकने के लिए संपत्ति के अधिग्रहण का कानून पास किया था।
सरकार अड़ी रही जिद्द पर
अदालत द्वारा दीपक और दीप को कानूनी वारिश घोषित करने के बावजूद भी सरकार अपनी बात पर अड़ी रही जिसके चलते दीपक ने मद्रास हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज करके वेद निलयम पर अपना अधिकार मांगा था। उन्होने कहा कि, वे अपनी चाची के पोएस गार्डन निवास से उनकी भावनाएं जुड़ी थी और वे इसका उपयोग नेक कार्यों मे करने की योजना बना रहे हैं।
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कोर्ट के सम्मान का दिया गया बलिदान
कानूनी वारिस की आपत्तियों के बावजूद, अन्नाद्रमुक नेतृत्व द्वारा प्रक्रिया जारी रखने का फैसला लिया गया। जयललिता के परिवार के बारे में यह अफवाह थी कि अगर उनकी संपत्ति का हकदार उनके दिवंगत भाई, दीपा या दीपक में से किसी को बनाया गया तो शशिकला उनसे वह संपत्ति खरीद लेगी। बुधवार को उच्च न्यायालय ने आदेश देते हुए कहा कि, कानून का सम्मान- उसकी आत्मा और नागरिकों के अधिकारों की चिंता कार्यकारी निष्पक्षता का अनिवार्य भाग हैं किंतु वेद निलयम के अधिग्रहण से उनकी कुर्बानी दी गई।
अंजली सजवाण
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