पतित पावनी सरयू नदी लगातार उपेक्षित होती जा रही है। एक ओर अवैध खनन से नदी छलनी हो रही है, दूसरी ओर नदी में खुलेआम जूठन और कचरा फेंका जा रहा है। ब्रह्मकपाली शिला के समीप भोजन के अवशेष बिखरे पड़े हैं। इस जूठन में मांस के अवशेष तक शामिल हैं। सरयू का यह जल रोजाना भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। लोगों को पाप मुक्त कर पवित्र करने वाली सरयू के अपवित्र होने से नगरवासियों में रोष बढ़ रहा है।
सरयू नदी के पावन जल से भक्तगण रोजाना बाबा बागनाथ का अभिषेक करते हैं। बावजूद नदी की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर गंभीरता से कार्य नहीं किया जा रहा है। नगरपालिका कार्यालय के ठीक सामने सरयू नदी में ब्रह्मकपाली शिला है। शिला से कुछ दूरी पर बने एक बड़े पत्थर में नगरपालिका ने भगवान शिव की तस्वीर चित्रित की है। इसी तस्वीर के ठीक सामने से नदी में गंदगी को प्रवाहित किया जा रहा है।
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नदी किनारे गंदगी का अंबार लगा है। इस गंदगी में बर्बाद हुए भोजन और मांस-मुर्गे के अवशेष शामिल हैं। सहालग सीजन में नदी किनारे बने घाट में कई विवाह आदि शुभ कार्य हुए थे। जहां का बचा-खुचा भोजन भी नदी के इस हिस्से में फेंक दिया गया था। अब इस स्थान को कूड़ा निस्तारण का केंद्र बना दिया गया है। जिस तरह से नदी में जूठन और गंदगी को प्रवाहित किया जा रहा है। उससे श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंच रही है। नगरवासियों और श्रद्धालुओं ने नगरपालिका से मामले का संज्ञान लेने और कूड़ा व जूठन फेंकने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है।