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उमर अब्दुल्ला ने संभाली J&K की कमान

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने आज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की कमान संभाल ली। 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार बनने से लोगों को भी बड़ी उम्मीदें हैं। देखना होगा कि नई सरकार जन अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है। हम आपको बता दें कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी।
  शपथ ग्रहण समारोह में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, द्रमुक सांसद कनिमोझी, माकपा नेता प्रकाश करात, भाकपा नेता डी राजा, सांसद सुप्रिया सुले और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह आदि मौजूद थे। हम आपको बता दें कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने गठबंधन के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं हुई है। इस मुद्दे पर नेशनल कांफ्रेंस ने कहा है कि दोनों दलों के बीच कोई मतभेद नहीं है। बताया जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला कांग्रेस को मात्र एक कैबिनेट मंत्री पद देना चाह रहे थे जिसे कांग्रेस ने स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में मात्र छह सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस ने कहा है कि वह मंत्रिपरिषद में तब तक शामिल नहीं होगी जब तक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल जाता। हम आपको बता दें कि उमर अब्दुल्ला मंत्रिमंडल में शामिल किये गये लोगों में जावेद राणा, जावेद अहमद डार, सतीश शर्मा, सुरिंदर चौधरी और सकीन इतू शामिल हैं। सतीश शर्मा ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की थी। उन्होंने जीत हासिल करने के बाद नेशनल कांफ्रेंस को समर्थन देने की घोषणा की थी। सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है उन्होंने नौशेरा से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना को मात दी थी।   हम आपको यह भी बता दें कि उमर अब्दुल्ला ने अपने शपथ ग्रहण समारोह से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के संस्थापक शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पठानी सूट और कोट पहने 54 वर्षीय अब्दुल्ला ने पार्टी संस्थापक के स्मारक पर फूल चढ़ाए। इस बारे में नेशनल कांफ्रेंस ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पूर्व उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल में अपने दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के स्मारक पर दुआ मांगी।’’   हम आपको बता दें कि तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के 2019 में निरस्त होने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत के बाद उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने हैं। इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि उमर अब्दुल्ला ही 6 साल का कार्यकाल पूरा करने वाला आखिरी मुख्यमंत्री थे। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य के दर्जे के दौरान यहां की विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष का होता था। शपथ लेने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हम लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करके शुरू करना होगा।

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